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देशबन्धु

तब क्या होगा, हम देखेंगे...
हम देखेंगे.. लाज़िम है कि हम भी देखेंगे... मशहूर शायर फैज़ अहमद फै़ज ने ये नज़्म साढ़े चार दशक पहले तब लिखी थी जब पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक़ ने...










