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ललित सुरजन की कलम से- देशबन्धु के साठ साल-7

डॉ. जयंत नार्लीकर रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के निमंत्रण पर तीन दिन के लिए रायपुर आ रहे थे

ललित सुरजन की कलम से- देशबन्धु के साठ साल-7
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'डॉ. जयंत नार्लीकर रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के निमंत्रण पर तीन दिन के लिए रायपुर आ रहे थे। इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने विज्ञान के लोकव्यापीकरण को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था।

मैं उनका तब से प्रशंसक था जब वे 1960 के दशक में कैंब्रिज में फ्रेड हॉयल के साथ खगोलशास्त्र पर शोध कर रहे थे और अन्तरराष्ट्रीय ख्याति हासिल कर चुके थे। उनका रायपुर आना हमारे लिए एक बड़ी खबर थी।

हमने नार्लीकरजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक पूरे पेज की विशेष सामग्री प्रकाशित की और तीनों दिन उनके व्याख्यानों को प्रमुखता के साथ छापा। इसी समय लगे हाथ उनके अंग्रेजो लेखों को अनुवाद कर छापने की अनुमति भी मांग ली, जो सहर्ष मिल गई।'

(देशबन्धु में 22 अगस्त 2019 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2019/08/


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