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देशबन्धु

धर्म लोगे, धर्म ?
- रामधारी सिंह 'दिनकर' ''धर्म लोगे, धर्म ?' मैंने किवाड़ खोलकर देखा, बगल की राह से पुरोहित जा रहा था। धर्म इसकी खेती है और पर्व-त्योहार फसल काटने के...












