Top
Begin typing your search above and press return to search.

धर्म लोगे, धर्म ?

मैंने किवाड़ खोलकर देखा, बगल की राह से पुरोहित जा रहा था

धर्म लोगे, धर्म ?
X

- रामधारी सिंह 'दिनकर'

''धर्म लोगे, धर्म ?'

मैंने किवाड़ खोलकर देखा, बगल की राह से पुरोहित जा रहा था। धर्म इसकी खेती है और पर्व-त्योहार फसल काटने के अच्छे मुहूर्त। मैंने कहा, ''पुरोहित, मेरे घर तेरी फसल नहीं उपजी है।'' और किवाड़ मैंने बन्द कर लिया।

''धर्म लोगे, धर्म ?''

मैंने किवाड़ खोलकर देखा, बगल की राह से पंडा जा रहा था। धर्म इसकी ठेकेदारी और देवता इसका इंजीनियर है और जैसे इंजीनियर की कृपा से ठेकेदार मालामाल हो जाता है, उसी तरह, देवता के मेल से पंडे को मालपूए खूब मिलते हैं। मैंने कहा, ''पंडा, मुझे पुल बनवाना नहीं है।'' और किवाड़ मैंने बन्द कर लिया।

''धर्म लोगे, धर्म ?''

मैंने किवाड़ खोलकर देखा, बगल की राह से उपदेशक जा रहा था। धर्म इसकी मशाल है, जिसे वह सिर्फ दूसरों के लिए जलाता है और यह वह नाई है, जो मशाल अपनी रोजी के लिए जलाता है, जिससे बरात के लोग अपना रास्ता पा सकें। मैंने कहा, ''नाऊ, मुझे आज कहीं नहीं जाना है।'' और किवाड़ मैंने बन्द कर लिया।

'धर्म लोगे, धर्म ?''

मैंने किवाड़ खोलकर देखा, बगल की राह से एक अमीर जा रहा था। धर्म इसका छाता है, जिसे इसने मार्क्सवादी ओलों की बौछार से बचने को तान रक्खा है। मैंने कहा, ''अमीर, मेरे पास बचाने की कोई चीज नहीं है।'' और किवाड़ मैंने बन्द कर लिया।

और शाम को जब मैं घर से निकला, तब देखा कि गाँव का आठ वर्ष का छोटा बच्चा रामू खेत की मेड़ पर बैठा किसी विचार में लीन है। मैंने पूछा, ''अरे रामू, यहां बैठा-बैठा क्या सोच रहा है?''

रामू बोला, ''सोच रहा हूँ कि ईश्वर एक ही है, यह आदमी के लिए काफी कठिनाई की बात है। अब तुम्हीं सोचो दादा, कि दो ईश्वर होते, तो आदमी को थोड़ी सहूलियत जरूर हो जाती।

मसलन, अगर यह ईश्वर रूठ गया, तो उस ईश्वर के यहाँ चले गये और वह ईश्वर रूठ गया, तो इस ईश्वर के यहाँ चले आये। मगर, ईश्वर एक ही है, इसलिए, हमें बहुत सँभल-सँभलकर चलना होगा।''

मैंने बच्चे को गोद में उठा लिया और कहा कि ''प्यारे काश, अपनी शंका और बेचैनी तू मेरे दिल में उँड़ेल पाता।''


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it