तमिलनाडु की घूमंतू जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी।;
नयी दिल्ली 22 दिसम्बर: तमिलनाडु के वन क्षेत्रों में रहने वाली दो घूमंतू जातियों नरिकुरवन और कुरुविक्कारन को संविधान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने वाले संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश 1950 का संशोधन करने वाले संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2022 को आज राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने गुरूवार को विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इन दोनों समुदायों के लोगों को आजादी के बाद न्याय से निरंतर वंचित रखा गया। इस समुदाय की आबादी बहुत कम है और सरकार ने इन्हें मुख्यधारा से जाेड़ने तथा इन्हें सरकार की योजनाओं और आरक्षण का लाभ देने के लिए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से इन समुदायों को लंबे समय के बाद न्याय मिलेगा।
सरकार जनजातीय क्षेत्रों में सुशासन और सरकार की योजनाओं का लाभ हर समुदाय तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों के सांसदों ने उनके वहां की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की है और सरकार इस मामले में संवेदनशील रूख अपनायेगी।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के जी एल नरसिम्हन राव ने कहा कि इस विधेयक के जरिये सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह देश में हर वर्ग तथा समुदाय के विकास के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय से पहली बार महिला को राष्ट्रपति बनाकर सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि उसके लिए देश का हर वर्ग तथा समुदाय समान है। उन्होंने जबरन धर्मांतरण के मुद्दे का उल्लेख करते हुए कहा कि यह लोगों के अधिकारों का हनन है।
विभिन्न दलों के अनेक सदस्यों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया और विधेयक का समर्थन किया।