पिछले 100 साल का सबसे गंभीर आर्थिक संकट लेकर आया कोरोना: शक्तिकांता
रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांता दास ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) पिछले 100 साल का सबसे गंभीर आर्थिक और स्वास्थ्य संकट लेकर आया है और इसका नौकरियों तथा उत्पादन पर नकारात्मक प्;
नयी दिल्ली । रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांता दास ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) पिछले 100 साल का सबसे गंभीर आर्थिक और स्वास्थ्य संकट लेकर आया है और इसका नौकरियों तथा उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
श्री दास ने यहां भारतीय स्टेट बैंक की ओर से ‘ कोविड-19 का कारोबार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव’ विषय पर आयोजित वर्चुअल सम्मेलन में कहा कि कोरोना का पूरी दुनिया में उत्पादन क्षमता, नौकरियों तथा लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसने माैजूदा वैश्विक व्यवस्था , वैश्विक वैल्यू चेन, श्रम और पूंजी के प्रवाह को प्रभावित किया है। इसका वैश्विक आबादी के एक बड़े हिस्से की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर रहा है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी संभवत: हमारी आर्थिक और वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता और लचीलेपन की सबसे बड़ी परीक्षा है। इस माैजूदा संकट से अपनी वित्तीय प्रणाली की रक्षा और अर्थव्यवस्था को मदद देने के लिए आरबीआई ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। कोरोना संकट के दौरान आरबीआई के नीतिगत फैसलों की सफलता भले ही कुछ समय बाद पता चले लेकिन वह अब तक सफल प्रतीत हो रहे हैं।
श्री दास ने कहा कि माैजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए आरबीआई ने कई कदम उठाये हैं। आरबीआई की मुख्य प्राथमिकता विकास है लेकिन वित्तीय स्थिरता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस महामारी के कारण होने वाले जोखिम की पहचान के लिए ऑफसाइट निगरानी प्रणाली मजबूत की जा रही है। महामारी के कारण गैर निष्पादित संपत्तियां बढेंगी और साथ ही पूंजी में कमी आयेगी।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने मौद्रिक नीतिगत कदम उठाते हुए फरवरी 2019 में कोरोना महामारी की शुरुआत तक रेपो दर में करीब 135 आधार अंकों की कटौती की थी । यह कदम आर्थिक विकास की गति में आयी गिरावट को रोकने के लिए उठाया गया था। उन्होंने कहा कि मौद्रिक समीक्षा समिति ने मार्च और मई में हुई नीतिगत समीक्षा बैठक में 115 आधार अंकों की कटौती का निर्णय लिया । इस तरह से फरवरी 2019 से अब तक रेपो दर में कुल 250 आधार अंकों की कटौती हुई।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन पर कोरोना महामारी का असर पड़ने के बावजूद भुगतान प्रणाली, वित्तीय बाजार सहित देश की वित्तीय प्रणाली बिना किसी रुकावट के काम कर रही है। लॉकडाउन की पाबंदियों में छूट मिलने से भारतीय अर्थव्यवस्था सामान्य होने के संकेत दे रही है हालांकि, ये अब भी अनश्चित है कि आपूर्ति श्रृंखला कब पूरी तरह काम करेगी, मांग की स्थिति सामान्य होने में कितना समय लगेगा और यह महामारी हमारे विकास पर क्या स्थायी प्रभाव छोड़ जायेगी।
उन्होंने कहा कि अभी सर्वाधिक जरूरत भरोसा बरकरार रखने , वित्तीय स्थिति बनाये रखने, विकास करने और मौजूदा संकट से मजबूती से उबरने की है। आरबीआई की प्राथमिकता वित्तीय स्थिरता , बैंकिंग प्रणाली की मजबूती और आर्थिक गतिविधि की सततता के बीच संतुलन बनाना है।