सहानुभूति के बरामदे में ककहरा सीख रहे बच्चे

 निजी विद्यालय जहां बस्तों के भारी बोझ और महंगी शिक्षा के चलते आम लोगों की पहुंच से दूर है;

Update: 2017-07-03 18:25 GMT

डभरा क्षेत्र में अभी भी दर्जनों स्कूल भवनविहीन 

डभरा/जांजगीर।  निजी विद्यालय जहां बस्तों के भारी बोझ और महंगी शिक्षा के चलते आम लोगों की पहुंच से दूर है, वहीं सरकारी स्कूलों की खस्ताहाल व्यवस्था ने गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा से रूझान को कम कर दिया है। डभरा क्षेत्र में दर्जनों ऐसे भवनविहीन शासकीय विद्यालय संचालित है, जिन्हें उधारी के कमरों में अथवा ऑगनबाड़ी के कमरों में अध्यापन करने की मजबूरी बनी हुई है। ऐसा ही विद्यालय ग्राम पंचायत निमोही के आश्रित ग्राम कठर्रापाली में प्राथमि शाला का संचालन उधारी के बरामदे में संचालित होता देखा जा सकता है। 27 वर्ष पूर्व स्वीकृत इस विद्यालय का भवन जर्जर होने के चलते 2015 में विद्यालय निजी व्यक्ति के बरामदे में संचालन शुरू किया गया था। मगर 3 सत्र बीत जाने के बाद भी बच्चों को नया भवन नहीं मिल पाया है। 

चन्द्रपुर विधान सभा क्षेत्र के ब्लाक डभरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत निमोही के आश्रित ग्राम कठर्रापाली में संचालित शा.प्रा.शाला भवन विहीन है। लगभग 27 बरसों से संचालित प्राथमिक शाला के लिए पूर्व में भवन था वह जर्जर होने के कारण तोड़ दिया गया तब से आज तक नया भवन का निर्माण नहीं कराया गया। बल्कि विद्यालय का संचालन पेड़ के नीचे बच्चों को बैठाकर किया जा रहा है,और बारिश होने पर कठर्रापाली के ग्रामीण महेत्तरलाल डनसेना के बरामदे में पढ़ाई होती है।

वर्ष 2015 में पुराने भवन को तोड़ दिया गया तब से आज तक नया भवन की स्वीकृति शासन द्वारा नहीं दी गई। ग्राम कठर्रापाली के नौनीहाल शिक्षा तालिम करने पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे है,वहीं शा.प्रा.शाला में लगभग 30 बच्चे पढ़ाई करते है और 3 शिक्षक है। जिसमें एक प्रभारी प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत है।

छात्र-छात्राओं को विद्यालय भवन नहीं होने से बच्चो की पढ़ाई प्रभावित हो रही है,साथ ही विद्यालय में शिक्षा की स्तर भी गिर रहा है,अभी शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है,विद्यालय खुल गया है। विद्यालय तो संचालित है,परन्तु भवन नहीं होने कारण बारिश में पढ़ाई प्रभावित होती है,लगातार बारिश होने पर बरामदे में भी पानी टपकता है, इस कारण बच्चों को बैठने में परेशानी होती है।

एक तरफ सरकार शिक्षा की स्तर ऊपर उठाने की बात करती है,परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में भवन तक नहीं है तो शिक्षा का स्तर कैसे ऊपर उठेगा। इस विद्यालय को 3 बरसों से भवन तक नहीं है,कभी पेड़ के नीचे तो कभी उधारी के बरामदे में कक्षाएं लगाया जा रहा है,इसके बाद भी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त नहीं कर पाई है,मात्र कागजों में चल रही है। चन्द्रपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम लटियाडीह खरेसिया अमलीपाली कुसमुल सहित दर्जनों गांवो में संचालित विद्यालयों में भवन तक नहीं हैं,कहीं उधारी के बरामदे में तो कहीं आंगनबाड़ी भवन या मंगलभवन में पढ़ाई चल रही है।
 

कईबार विभाग को किया जा चुका है अवगत 
इस बारे में प्रभारी प्रधान पाठक बोधराम डनसेना ने बताया कि विद्यालय भवन विहीन के संबंध में कई बार शासन प्रशासन व आलाअधिकारियों को अवगत करा चुके है।
 

लोक सुराज अभियान में भी दिया गया था आवेदन 
ग्राम पंचायत निमोही के सरपंच भुवनलाल डनसेना ने कहा कि शाला भवन की मांग लोक सुराज से लेकर जनसमस्या निवारण शिविरों में की गई है। परन्तु आज तक नए भवन के लिए स्वीकृति नहीं मिली है।
 

प्रस्ताव भेजा गया है-सीईओ
इस संबंध में सीईओ नितेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि शाला भवन के लिए जिला पंचायत को प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही नए भवन का निर्माण कराया जावेगा।

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