योगी सरकार का भ्रष्टाचार पर वार, हटाए गए प्रमुख वन संरक्षक पवन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को भ्रष्टाचार पर चाबुक चलाई। सात पीपीएस अफसरों को जबरिया रिटायरमेंट देने के बाद उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक पवन कुमार पर भी गाज गिराई है;

Update: 2019-11-07 21:39 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को भ्रष्टाचार पर चाबुक चलाई। सात पीपीएस अफसरों को जबरिया रिटायरमेंट देने के बाद उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक पवन कुमार पर भी गाज गिराई है। योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में भारतीय वन सेवा के अधिकारी पवन कुमार को प्रमुख वन संरक्षक पद से हटाकर प्रतीक्षा पंक्ति में रखा है। उन पर जनपद सोनभद्र में वनभूमि को जेपी ग्रुप को गलत तरीके से देने का आरोप है।

शासन के अनुसार, पवन कुमार के खिलाफ जो शिकायतें आई थीं, उनकी जांच के बाद उन्हें पद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया है।

पूर्व आईएफएस ए.के. जैन ने पवन कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि करीब 4721 करोड़ की वन विभाग की जमीन के साथ हेरफेर किया गया है। इस संबंध में जैन ने साल 2017 में आगरा के मुख्य वन संरक्षक रहते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्व की अखिलेश सरकार के दौरान वन विभाग की जमीन में हेरफेर किया गया। अखिलेश सरकार में संजीव सरन प्रमुख सचिव और पवन कुमार वन विभाग के सचिव थे। उन पर एक निजी कंपनी को सोनभ्रद्र में जमीन देने का आरोप लगा था।

इससे पहले, गुरुवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीजीपी ओ.पी. सिंह ने सात पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी।
 

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