म्यांमार में कल प्रथम चरण में मतदान, विवादों के बीच 5 साल बाद हो रहे चुनाव
म्यांमार में कल रविवार से शुरू होकर जनवरी तक चलने वाले देशव्यापी आम चुनावों को सैन्य सरकार अपनी अंतरराष्ट्रीय वैधता के रूप में देख रही है, जबकि विपक्षी समूहों ने इसे महज एक 'दिखावा' करार दिया है;
म्यांमार में विवादों के बीच चुनाव शुरू: सैन्य शासन को अंतरराष्ट्रीय मान्यता की उम्मीद
2021 के तख्तापलट के बाद से गृह युद्ध की चपेट में देश
ये चुनाव संघर्ष से जूझ रही जनता के लिए आशा की किरण
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल
महिला उम्मीदवारों की भागीदारी रिकॉर्ड 18 प्रतिशत तक पहुंची
नेपीडॉ। म्यांमार में कल रविवार से शुरू होकर जनवरी तक चलने वाले देशव्यापी आम चुनावों को सैन्य सरकार अपनी अंतरराष्ट्रीय वैधता के रूप में देख रही है, जबकि विपक्षी समूहों ने इसे महज एक 'दिखावा' करार दिया है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार ये आम चुनाव तीन चरणों में संपन्न होंगे। प्रथम चरण में 28 दिसंबर से 102 टाउनशिप में मतदान शुरू होगा। द्वितीय चरण में 11 जनवरी, 2026 को 100 टाउनशिप में वोट डाले जाएंगे। जबकि तृतीय चरण में 25 जनवरी, 2026 को शेष 63 टाउनशिप में चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी।
ये आम चुनाव म्यांमार चुनाव आयोग की देखरेख में संपन्न होंगे। स्थिरता का हवाला देते हुए प्रशासन ने 27 दिसंबर की सुबह से यांगून की 44 टाउनशिप में लागू कर्फ्यू हटा दिया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार चुनाव में 57 राजनीतिक दलों के 5,000 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं। ये उम्मीदवार तीन विधानमंडलों की लगभग 950 सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे। खास बात यह है कि इस चुनाव में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी रिकॉर्ड 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो पिछले दो दशकों में सर्वाधिक है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
आयोग के मुताबिक चुनाव की निगरानी के लिए भारत, चीन, रूस, बेलारूस, कजाकिस्तान और वियतनाम के अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक यांगून पहुंच चुके हैं। हालांकि, पश्चिमी देशों के राजनीतिक विशेषज्ञों ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
वरिष्ठ जनरल मिन ऑन्ग ह्लाइंग की अगुवाई वाली सैन्य सरकार करीब पांच साल बाद यह चुनाव करवा रही है। जुंटा प्रशासन इसे म्यांमार के लिए "नया अध्याय" बता रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि देश 2021 के तख्तापलट के बाद से गृह युद्ध की चपेट में है। इस संघर्ष ने लाखों लोगों को विस्थापित किया है और अर्थव्यवस्था को बुरी तरह जर्जर कर दिया है।
सरकारी मीडिया 'द ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार' ने संपादकीय में कहा है कि ये चुनाव संघर्ष से जूझ रही जनता के लिए आशा की किरण हैं। इसके विपरीत, मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि अशांत क्षेत्रों में निष्पक्ष चुनाव कराना लगभग असंभव है।