म्यांमार चुनाव : मतदान केन्द्र सूने पड़े रहे और बूथों पर बेहद कमजोर व्यवस्था, पहले चरण में लोगों में नहीं दिखा कोई उत्साह

म्यांमार में रविवार को पांच वर्षों में पहली बार हो रहे मतदान को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं देखा गया। मतदान केन्द्र सूने पड़े रहे, और मतदान बूथों पर बेहद कमजोर व्यवस्था देखी गयी;

Update: 2025-12-28 12:54 GMT

कड़ी सुरक्षा के बीच हुए म्यांमार चुनाव के पहले चरण में मतदाताओं में कोई खास उत्साह नहीं

यांगून। म्यांमार में रविवार को पांच वर्षों में पहली बार हो रहे मतदान को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं देखा गया। मतदान केन्द्र सूने पड़े रहे, और मतदान बूथों पर बेहद कमजोर व्यवस्था देखी गयी।

देश में तीन चरणों में आयोजित हो रहे मतदान के पहले चरण में रविवार को वोट डाले गए। इसमें 102 क्षेत्रों के लिए मतदान हुआ। इसमें लोगों में उत्साह की कमी की एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि इससे देश में सैन्य शासन को ही मजबूत मिलेगी। दूसरे चरण का मतदान 11 जनवरी को होगा , जिसमें 100 क्षेत्रों में मतदान होगा और तीसरा चरण इसके दो सप्ताह बाद होगा।

इस चुनाव को भारत समेत कई देशों के पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में कराया जा रहा है, हालांकि संयुक्त राष्ट्र, पश्चिमी सरकारों और अन्य स्वतंत्र पर्यवेक्षकों ने इस प्रक्रिया को यह कहकर खारिज कर दिया है कि बिना विपक्षी दलों के चुनाव का कोई मतलब नहीं है।

म्यांमार में सेना के समर्थन से हो रहे चुनाव में प्रमुख विपक्षी पार्टियों को हिस्सा नहीं लेने दिया गया है। स्थानीय मीडिया के अनुसार इसमें काफी कम मतदान, भारी प्रशासनिक खामियां और मतदान केंद्रों पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी मिली है।

जुंटा प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने फरवरी 2021 में सत्ता पर कब्जा करके खुद को 'कार्यवाहक राष्ट्रपति' नियुक्त कर लिया था। इससे ऐसा लगता है कि चुनाव बाद बनी सेना के दबदबे वाली रबर स्टॉम्प संसद उन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करेगी।

नेपिटा के एक मतदान केन्द्र पर वोट डालने के बाद मीडिया से बात करते हुए जुंटा प्रमुख ने कहा कि उनका भविष्य संसद तय करेगी। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि चुनाव 'स्वतंत्र और निष्पक्ष' होंगे, भले ही ये चुनाव वही सरकार करवा रही है, जिसने 2020 में पिछले चुनाव के नतीजों को पलट दिया था।

यह भी देखा गया कि हर मतदान क्षेत्र पर इक्के-दुक्के लोग खड़े थे। इससे स्पष्ट है कि मतदान का प्रतिशत बहुत कम रहने वाला है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, अधिकतर मतदाता सेना प्रशासन के अंतर्गत काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों के परिवार के सदस्य थे।

कई मतदाताओं को सूची में अपना नाम ढूंढ़ने में काफी दिक्कतें आयीं जैसे नाम गायब होना, गलत वोटर नंबर, और मतदान की सुबह पंजीकरण विवरण की दोबारा जांच। एक मतदाता ने बताया, "जब वोटर नंबर मैच नहीं हो रहे थे, तब भी उनकी मदद करने वाला कोई नहीं था।"

जुंटा ने सिर्फ छह राजनीतिक पार्टियों को आम चुनाव में लड़ने की अनुमति दी है। इनमें सेना समर्थित यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) शामिल है। ये पार्टियां सेना के साथ गठजोड़ में या इस पर निर्भर मानी जाती हैं। इनके अलावा ऑन्ग सॉन्ग सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी समेत अन्य सभी दलों को भंग कर दिया गया है और इन दलों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है।

इनमें यूएसडीपी, नेशनल यूनिटी पार्टी (एनयूपी), पीपुल्स पायनियर पार्टी, पीपुल्स पार्टी, म्यांमार फार्मर्स डेवलपमेंट पार्टी और शान एवं एथनिक डेमोक्रेटिक पार्टी शामिल हैं। इनके अलावा म्यांमार में 51 पंजीकृत पार्टियां सिर्फ राज्य और क्षेत्रीय स्तर के चुनाव लड़ सकती हैं।

जुंटा ने घोषणा की है कि मतदान तीन चरणों में होगा। पहले चरण में आज 28 दिसंबर को 102 नगर क्षेत्रों में चुनाव हो रहा है।

जुंटा का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक मतदान प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। सरकारी मीडिया के अनुसार, चुनाव पर्यवेक्षक दल में भारत समेत चीन, बेलारूस, रूस, लाओस, कंबोडिया और किर्गिस्तान के अधिकारी शामिल हैं।

सेना ने इन दलों की उपस्थिति को चुनाव की विश्वसनीयता के प्रमाण के तौर पर बताया है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र, पश्चिमी सरकारों और स्वतंत्र पर्यवेक्षक इस प्रक्रिया को खारिज कर चुके हैं, क्योंकि चुनाव से मुख्य विपक्षी पार्टियों को बाहर कर दिया गया है और चुनाव बड़े पैमाने पर संघर्ष, दमन और विस्थापन के बीच हो रहा है।

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