महिलाओं के लिए भी खुले सबरीमाला मंदिर के दरवाजे
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर आखिरकार महिलाओं को जीत हासिल हो गई है;
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह कल एडल्टरी को लेकर महिलाओं के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था आज एक बार सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए लड़ी जा रही लड़ाई पर अपने फैसले से इतिहास रच दिया है।
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से पाबंदी हटा दी है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति रोहिंगट एफ नरीमन और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने आज इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यह साफ कर दिया कि भगवान महिला और पुरूष दोनों के लिए बराबर है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संस्कृति में महिलाएं आदरणीय है और वह पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं।
कोर्ट ने टिपण्णी करते हुए कहा कि भगवान से रिश्ता लैंगिक आधार पर तय नहीं हैं। भगवान महिला और पुरूष दोनों के लिए समान है क्योंकि समाज महिला और पुरूष दोनों से मिलकर बनता है।
हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देवस्वम बोर्ड पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।
आपको बता दें कि पत्थनमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाट की पहाड़ी पर स्थित सबरीमाला मंदिर प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 10 से 50 वर्ष की आयु तक की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि मासिक धर्म के समय वे शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं।