नेशनल हेराल्ड मामले में ट्रायल कोर्ट के निर्णय को ईडी ने हाई कोर्ट में दी चुनौती, ट्रायल कोर्ट ने आरोप पत्र को कर दिया था खारिज

नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में दाखिल अभियोजन शिकायत (प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) पर संज्ञान लेने से इन्कार करने के राउज एवेन्यू की विशेष अदालत के निर्णय को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।;

Update: 2025-12-20 07:49 GMT
नई दिल्ली: National Herald Case: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दाखिल अभियोजन शिकायत (प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) पर संज्ञान लेने से इन्कार करने के राउज एवेन्यू की विशेष अदालत के निर्णय को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 16 दिसंबर को यह कहते हुए ईडी की शिकायत को अस्वीकार कर दिया था कि यह किसी मूल अपराध से जुड़ी प्राथमिकी पर आधारित नहीं है। इसी मामले के तहत ईडी ने इस साल अप्रैल में एक चार्जशीट दायर की थी। ईडी की चार्जशीट को प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट भी कहा जाता है। ईडी की अपील याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है।

मामले में प्राथमिकी दर्ज
ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा तीन व चार के तहत मनी लांड्रिंग की कार्यवाही तभी आगे बढ़ सकती है, जब उससे संबंधित मूल अपराध में पहले प्राथमिकी दर्ज हो। कोर्ट ने कहा था कि ईडी ने अपनी पूरी जांच और अभियोजन शिकायत भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर निजी शिकायत और उस पर पारित समन आदेशों पर आधारित रखी है, जबकि इस मामले में न तो सीबीआइ और न ही किसी अन्य जांच एजेंसी द्वारा धोखाधड़ी या आपराधिक साजिश से संबंधित कोई प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण किया है। आरोप है कि ये सब हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के मकसद से किया गया है।

ईडी ने इन्‍हें बनाया आरोपित
इस मामले में गांधी परिवार के अलावा, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, यंग इंडियन, डोटेक्स मर्चेंडाइज और सुनील भंडारी को भी ईडी ने आरोपित बनाया था। ईडी ने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी करके नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों पर कब्जा किया गया था, जिसकी कीमत दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। ये संपत्ति यंग इंडियन नाम की कंपनी के जरिये हड़पी गई। सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेताओं ने अजल की संपत्तियों पर गलत तरीके से कब्जा किया। इसी निजी शिकायत के आधार पर अदालत से समन जारी किए, जिसके बाद ईडी ने मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की थी।

ट्रायल कोर्ट के आदेश को कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ी जीत बताया था। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, ये फै़सला एजेंसी के दुरुपयोग का प्रमाण है। वहीं दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि इस फै़सले से नेशनल हेराल्ड मामले में 'क्लीन चिट' नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि एक टेक्निकल आधार पर ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया, लेकिन मामला अब भी चल रहा है।

क्‍या था मामला

नेशनल हेराल्ड की स्थापना जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर 1938 में की थी। एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका मतलब ये हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया. इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्‍सेदारी है। बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज (दोनों अब दिवंगत) के पास थी। 

Tags:    

Similar News