उच्च शिक्षा सामग्री भारतीय भाषाओं में हो उपलब्ध: राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए आज कहा कि इन सभी भाषाओं में बुनियादी और उच्च शिक्षा से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाने की आव;
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए आज कहा कि इन सभी भाषाओं में बुनियादी और उच्च शिक्षा से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति कोविंद ने ‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’ के शताब्दी समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि मौजूदा समय में इंटरनेट पर हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में नयी सामग्री का सृजन बहुत तेज गति से हो रहा है और बुनियादी एवं उच्च-शिक्षा के लिए उच्च-स्तर की सामग्री सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाने चाहिए।
#PresidentKovind inaugurates centenary celebrations of Dakshina Bharat Hindi Prachar Sabha in New Delhi; says every Indian should try to learn an Indian language other than his or her own pic.twitter.com/06oRsJr9lZ
उन्होंने कहा, “ऐसी सामग्री उपलब्ध होने से, भारतीय भाषाओं के माध्यम से मौलिक ज्ञान-विज्ञान, काम-काज और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। हिन्दी सहित सभी भारतीय भाषाओं में ऐसी क्षमता विकसित करनी चाहिए कि उनमें जैव प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर मौलिक काम किया जा सके।”
राष्ट्रपति ने देश की भावनात्मक एकता को मजबूत बनाने में ‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’ जैसे संस्थानों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि भाषाएं लोगों को जोड़ती हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय भाषाओं ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को सँजोकर रखा है। भारत में अनेक भाषाएँ और बोलियाँ हैं। उन सभी का अपना-अपना स्वरूप और सौन्दर्य है। यह विविधता, हमारी संस्कृति को उदार और समृद्ध बनाती है।”
उन्होंने सभी देशवासियों से अपने राज्य की मुख्य भाषा के अलावा अन्य राज्यों की भाषाओं को भी सीखने की अपील करते हुए कहा कि जब कोई हिन्दीभाषी युवा, तमिल, तेलुगु, मलयालम या कन्नड़ भाषा सीखता है तो वह एक बहुत ही समृद्ध परंपरा से जुड़ जाता है। वह उस प्रदेश में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। यह जानकारी उसके व्यक्तित्व में एक नया पक्ष जोड़ने के साथ-साथ, उसके लिए विकास के नये अवसर भी पैदा कर सकती है।
उन्होंने कहा, “ऐसे अनेक वैज्ञानिक शोध सामने आ रहे हैं, जिनके अनुसार, एक से अधिक भाषा सीखने वाले व्यक्ति की मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है। अधिक भाषाएं सीखने से सोच का दायरा भी बढ़ता है, दृष्टिकोण और अधिक व्यापक होता है। भारत जैसे बहुभाषी देश में यह तथ्य और अधिक प्रासंगिक हो जाता है।”
उन्होंने कहा कि जिस तरह ‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’ ने हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया है उसी तरह सभी भारतीय भाषाओं के विकास और प्रसार के लिए प्रयास किये जाने चाहिए। ‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’ की तर्ज पर, अन्य भारतीय भाषाओं के लिए भी, ऐसी सभाओं की शुरुआत होनी चाहिए।”