'सुनवाई की पहल सर्वोच्च पीठ से हो'
राजनीतिक रसूखदारों पर शीर्घ सुनवाई का मामला;
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि विधायकों या सांसदों और राजनीतिज्ञों से संबंधित मामले की शीघ्र सुनवाई की शुरुआत सर्वोच्च न्यायालय से ही शुरू होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने आदर्श सोसाइटी घोटाला मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की याचिका पर सुनवाई 13 मार्च को करने का निर्देश देने के बाद यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति जे. चेलेमश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने उन मीडिया रिपोर्टों को हवाला दिया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने सांसदों-विधायकों और राजनीतिज्ञों के मामले की सुनवाई एक वर्ष के अंदर करने के लिए विशेष न्यायालय गठित करने के निर्देश दिए थे। न्यायमूर्ति चेलेमश्वर ने 'शीघ्र' सुनवाई का पक्ष लेते हुए कहा कि इसे निश्चिय ही सर्वोच्च न्यायालय से शुरू किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई की एक अदालत में चव्हाण से जुड़े मामले पर रोक लगा दी और मामले की सुनवाई के लिए 13 मार्च की तारीख मुकर्रर की।
चव्हाण मूल रूप से सैनिकों के लिए बनी आदर्श सोसाइटी में आम नागरिकों को रहने की इजाजत देने के आरोप का सामना कर रहे हैं। उस समय महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चव्हाण ने आदर्श सोसाइटी की 15 प्रतिशत जमीन को मनोरंजन के उद्देश्य के लिए प्रयोग करने की इजाजत भी दी थी। मामले पर रोक लगाने से पहले, न्यायालय की पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश वकील से पूछा, अगर न्यायालय इस पर रोक लगाता है क्या वह यह बयान देंगे कि इस मामले में मुकदमे का दबाव नहीं बनाएंगे।
न्यायमूर्ति चेलेमश्वर ने सीबीआई वकील से कहा कि आपके पास एक विकल्प है, या तो आप बयान दें, या हम इसपर रोक लगाते हैं। वकील ने इस पर अदालत से आदेश जारी करने का अनुरोध किया।