शिक्षा भी सिखाती है लिंग भेदभाव: सिसोदिया

'मैं एक शिक्षा के अभियान का हिस्सा हूं जो इच्छुक हों, हमारे साथ आएं, मैं इस सिद्घांत में यकीन करता हूं कि सभी को बेहतर शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है और इसके लिए काम करता रहूंगा;

Update: 2017-04-06 11:27 GMT

नई दिल्ली। 'मैं एक शिक्षा के अभियान का हिस्सा हूं जो इच्छुक हों, हमारे साथ आएं, मैं इस सिद्घांत में यकीन करता हूं कि सभी को बेहतर शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है और इसके लिए काम करता रहूंगा।’

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने यह विचार इंद्रप्रस्थ कॉलेज के 12वें वार्षिक जन उद्बोधन में बुधवार को यह विचार रखते हुए कहा कि मैं इस कार्यक्रम में औपचारिकता के लिए नहीं आया बल्कि शिक्षा के इस अभियान से आप सभी को जोड़ने आया हूं। श्री सिसोदिया ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। आप शिक्षा पर काम करिये, सरकार, समाज शिक्षा पर काम करे और राजनीतिज्ञ भी शिक्षा पर काम करें। देश अपने आप तरक्की करने लगेगा।

एक विद्यार्थी के जेंडर सेंसटिविटी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुएउन्होंने कहा कि सिर्फ  कोई कोर्स शुरू करके या एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटी से लोगों को जेंडर सेंसटिव नहीं बनाया जा सकता। हमें अपनी सारी किताबें बहुत गंभीरता से पढ़नी पड़ेंगी और देखना पड़ेगा कि उनमें ऐसा क्या-क्या पढ़ाया जा रहा है जो अपराध पैदा कर रहा है।

उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि चौथी क्लास के बच्चे को गणित की किताब में जोड़-घटा सिखाने वाले प्रश्नों में कुछ इस तरह लिखा जाता है कि राम बाजार गया और सीता किचन में काम कर रही है। यहीं से बच्चों के मन में हम भेदभाव भर देते हैं। यही सोर्स ऑफ इनसेंसिटिविटी है। इसलिए हमें अपने कोर्स कंटेंट को बहुत क्रिटिकल तरीके से देखने की जरूरत है और उनमें जरूरी बदलाव की जरूरत है।

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि परी कहानियां भी हमारे बच्चों में लैंगिक भेदभाव पैदा करती हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि परी कहानियों में कुछ ऐसा होता है कि एक राजकुमारी थी। वो बहुत सुंदर थी। उसे एक परी का शाप लग गया। जिससे वो बदसूरत हो गई। इस तरह के कंटेंट बच्चों के मन में क्या पैदा करेंगे। इनका बहुत गंभीरता से मूल्यांकन करने की जरूरत है।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि सबसे पहले हमने स्कूलों में मूलभूत ढांचे पर ध्यान दिया और अब गुणवत्ता की दिशा में काम कर रहे हैं।

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