बर्न यूनिट की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल
सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में संसाधनों की कमी से स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है;
नोएडा। सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में संसाधनों की कमी से स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। सबसे अधिक परेशानी का सामना जले मरीजों को करना पड़ता है। बर्न यूनिट ना होने से अक्सर गंभीर मरीजों को दिल्ली रेफर करना पड़ता है।
जिला अस्पताल में समुचित उपचार ना मिल पाने के कारण गंभीर मरीजों की मौत भी हो जाती है। अब यह मुद्दा शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जिलाधिकारी बीएन सिंह के भी समक्ष रखा। जिसके बाद जिलाधिकारी बीएन सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को कई अहम निर्देश भी दिए।
बताते चले कि बर्न यूनिट में हर मरीज के लिए एक अलग केबिन होनी चाहिए। मरीज का बिस्तर जाली से पूरी तरह कवर हो जिससे मक्खी व मच्छर से पीड़ित का बचाव हो। पूरा वार्ड वातानुकूलित होना चाहिए। इसके अलावा बर्न यूनिट अलग होनी चाहिएए जिससे झुलसे लोग अन्य किसी तरह के संक्रमण से प्रभावित ना हो। बर्न सर्जन होना चाहिएए लेकिन जिले में इस तरह की सुविधाओं का अभाव है।
8 से 10 विभिन्न कारणों से झुलसे आते है मरीज
जिला अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक माह यहां लगभग 8 से 10 तक विभिन्न कारणों से झुलसे मरीज भर्ती आते हैं। यहां से गंभीर मरीजों को दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। दूर-दराज क्षेत्रों के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को घर वालों के लिए मरीजों को दिल्ली ले जाना भी आसान नहीं होता है। ऐसे में कुछ ही लोग दिल्ली ले जाते हैं और कुछ यहीं इलाज कराने को मजबूर हो जाते हैं।
जिलाधिकारी ने बैठक के दौरान ज्यादा से ज्यादा एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम (एएलएस) के प्रयोग करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में सीएमओ अनुराग भार्गव को निर्देश देते हुए कहा कि अस्पताल में जो भी बर्न मरीज आए। उन्हें एएलएस के माध्यम से ही दिल्ली भेजा जाए। जिससे मरीजों की जान बचाई जा सके।