केंद्र और राज्य सरकार कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव रोकें: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कुष्ठ रोगियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए आज व्यवस्था दी कि इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों की इलाज एवं शिक्षा में भेदभाव नहीं किया;

Update: 2018-09-14 14:11 GMT

नयी दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने कुष्ठ रोगियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए आज व्यवस्था दी कि इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों की इलाज एवं शिक्षा में भेदभाव नहीं किया जा सकता। 

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कुष्ठ रोग को सामाजिक कलंक माने जाने वाली कुरीतियों तथा कुष्ठ रोगियों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने के लिए दिशानिर्देश जारी किये। 

खंडपीठ ने कुष्ठ रोगियों को भी दिव्यांग प्रमाण-पत्र जारी करने के बारे में अलग से नियम बनाने की सलाह केंद्र सरकार को दी, ताकि कुष्ठ रोगियों भी आरक्षण का लाभ ले सकें। 

न्यायालय ने कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को आदेश जारी कर कहा है कि ऐसे रोगियों को विकलांगता की सूची में चिह्नित करके अधिसूचना जारी की जाये और कुष्ठ रोगियों को प्रमाण पत्र भी दिये जायें। 

शीर्ष अदालत ने सभी कुष्ठ रोगियों के लिए गरीबी रेखा से नीचे यानी बीपीएल श्रेणी वाला राशन कार्ड बनाने का भी निर्देश दिया है।
न्यायालय ने इन्हें नि:शुल्क दवायें उपलब्ध कराने एवं इनसे किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किये जाने का भी निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा है कि सरकारों को कुष्ठ रोगियों के मुफ्त इलाज के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए। विद्यालयों में बच्चों को इसके बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।

न्यायालय का यह दिशानिर्देश नेत्रहीन वकील पंकज सिन्हा की जनहित याचिका पर आया है। श्री सिन्हा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने जिरह की।

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