मोदी सरकार में बीएसएनएल डूबने के कगार पर पहुंचा : कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए आज कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) डूबने के कगार पर पहुंच चुकी है;

Update: 2019-09-07 00:41 GMT

पटना। कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए आज कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) डूबने के कगार पर पहुंच चुकी है।

बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने यहां कहा कि मोदी सरकार में बीएसएनएल डूबने के कगार पर पहुंच चुकी है। स्थिति यह है कि कंपनी अपने 70 से 80 हजार कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति देने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि बीएसएनएल कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु घटाकर 58 वर्ष करने की तैयारी की जा रही है।

श्री सिंह ने कहा कि जब केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार थी तो वर्ष 2008-09 में देश में थ्रीजी सेवा सबसे पहले महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) एवं बीएसएनएल ने लॉन्च किया था। निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों ने वर्ष 2010 थ्रीजी सेवा लॉन्च की थी। लेकिन, वर्ष 2015-16 से फोर जी के दौर में बीएसएनएल पिछड़ गई। उन्होंने आरोप लगाते हुये कहा कि मोदी सरकार ने वैसी निजी दूरसंचार कंपनियों को ज्यादा बढ़ावा दिया जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसी विषम परिस्थिति में बीएसएनएल पूरे देश में अभी तक 4जी की सेवा शुरू भी नहीं कर पाई है। वह थ्रीजी से ही काम चला रही है। अब 4जी के जमाने में कोई थ्रीजी की सेवा क्यों लेगा। इससे स्पष्ट होता है कि बीएसएनएल को बंद करने की मोदी सरकार की सोची समझी साजिश है।

श्री सिंह ने कहा कि आज स्थिति यह है कि बीएसएनएल अपनी जमीन और टावरों को लीज एवं किराये पर देकर जरूरी खर्चा निकाल पा रही है। कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुये हैं। उन्होंने कहा कि निजी दूरसंचार कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिये सरकारी कंपनी के साथ घोर अन्याय किया जा रहा है। अब देश की जनता को देखना है कि मोदी सरकार क्या अच्छा और क्या ख़राब काम कर रही है।

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