शरीर नहीं रूह को ताकत देता है रमजान
रमजान का पाक महीना शुरू होते ही मुस्लिम समाज के लोग इबादत में मशरूफ हो जाते है............;
नोएडा। रमजान का पाक महीना शुरू होते ही मुस्लिम समाज के लोग इबादत में मशरूफ हो जाते है। दिनभर रोजा रखने, कुरान की तिलावत करने और दूसरे नेक काम करने के साथ ही अपनी रूह को ताकतवर बनाने में जुट जाते है।
रमजान का असली मकसद इबादत करना तो है ही लेकिन शरीर को मजबूत करना कतई नहीं है। इसका असल मकसद रूह को शरीर से ज्यादा ताकतवर बनाना है। रूह के ताकतवर होते ही आपको नवाजे अच्छी लगने लगेंगी साथ ही आप स्वयं मस्जिद की ओर खिंचे चले आएंगे, लेकिन प्रश्न यह है कि आखिर रूह को ताकतवर कैसे बनाया जाए। मुस्लिम धर्म से जुड़े अनुयायियों के मुताबिक शरीर को जो चीज ताकतवर बनाती है वह रूह को उतना ही कमजोर बनाती जाती है। रमजान यह नहीं सिखाता कि हमे खाना-पीना छोड़ देना चाहिए हमे जानबूझकर इबादत करने चाहिए। बल्कि रमजान रूह को पवित्र व ताकतवर बनाने का एक जरिया है। यहा भूखा रहने का मतलब यह है कि आप गरीब मजलूम को भूखा मत सोने दो। रमजान सिखाता है कि किसी भूखे को रोटी दो आप भूखे रहो ताकि आपना जिस्म नहीं आपकी रूह ताकतवर बने। रूह हमेश काबिज रहती है। लेकिन जिस्म नहीं। रूह की सिर्फ फिजा बदतली है शक्ले बदलती है। लिहाजा रमजान रूह को पाक साफ करने का एक जरिया है।
रमजान सिखाता है रूह को कैसे तरोताजा किया जाए। यह इबादत के बाद आप खुद समझ समझने लगोगे। आपको नवाजे अच्छी लगने लगेंगी। अनुयायियों ने कहा कि आप अपने लिए दुआ करों लेकिन उन लोगों के लिए दुआ करो जो पाक महीने में दूरदराज घूमने गए है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि मजदूर, रिक्शा चालक आदि यह पाक माह से पहले ओवरटाइम करके पैसे बचाते है ताकि वह इबादत के साथ जकात कर सके। और अपनी रूह को मजबूत बना सके।