सिंधिया की वजह से जाएगी BJP की सत्ता !

मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. अपनी सरकार को बचाने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है. कमल को बचाने के लिए उसने सिंधिया को मैदान में उतार दिया है. जी हां अब प्रचार की कमान सीधे तौर पर सिंधिया ने संभाल ली है. वो ताई और भाई को साधने में जुट गए हैं. लेकिन सवाल उठता हैकि क्या जनता फिर से उन पर भरोसा जता पाएगी.;

Update: 2020-08-14 16:43 GMT

बीजेपी ने जोड़तोड़ कर फिर से सत्ता में कमल तो खिला दिया…लेकिन अब भी  शिव का सिंहासन डोल सकता है.इसीलिए बीजेपी उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है. बीजेपी इस बात से अच्छे से वाकिफ है कि अगर इस चुनाव में नैया पार नहीं लगी तो सत्ता हाथ से फिसल सकती है. यही वजह है कि उसने कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में आए सिंधिया  को मैदान में उतार दिया है. बीजेपी सिंधिया के जरिए पार्टी का प्रचार प्रसार करने में जुटी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया 17 अगस्त को इंदौर-उज्जैन के दौरे पर आ रहे हैं. मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए सिंधिया का ये दौरा काफी अहम माना जा रहा है.

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अपने प्रवास के दौरान वो इंदौर और उज्जैन में कई भाजपा नेताओं से उनके घर जाकर मुलाकात करेंगे. इंदौर में सुमित्रा महाजन यानि ताई और कैलाश विजयवर्गीय यानि भाई के घर जाने का भी प्रोग्राम है. इसके अलावा वो इंदौर में तीसरी ताकत बने सांसद शंकर लालवानी के घर भी जाएंगे. मालवा की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में इन तीनों नेताओं की अहम भूमिका होगी. सिंधिया का खासा फोकस मालवा की उन 7 सीटों पर है, जहां अब उपचुनाव होने हैं. इसमें भी सांवेर सीट अहम है, जहां से उनके खासमखास तुलसीराम सिलावट दल बदलने के बाद अब बीजेपी के संभावित उम्मीदवार हैं. सिंधिया अपने दौरे के दौरान मालवा की राजनीति के सारे धुरंधरों और धुरी से मिलेंगे. सिंधिया के इस दौरे से साफ है कि वो बीजेपी की साख बचाने के साथ-साथ अपने सबसे करीबी की लाज भी बचाने में जुटे हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अबकी बार जनता सिंधिया पर भरोसा जता पाएगी. क्या जनता तुलसीराम सिलावट को फिर से अपने करीब ला पाएगी. क्योंकि जब सिलावट कांग्रेस में थे तब भी जनता ने उनपर विश्वास जताया था. लेकिन अब वो पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ऐसे में बीजेपी पर संकट के बादल बरकरार है. कहीं ऐसा ना हो कि  सिंधिया की वजह से ही बीजेपी सत्ता से हाथ धो बैठे.

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