एक गांव ऐसा भी, जहां चल रही है बदलाव की बयार
भोपाल ! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फरमान पर मध्यप्रदेश के प्राय: सभी सांसदों ने अपने - अपने क्षेत्र के किसी न किसी गांव को गोद लेकर उसे आदर्श ग्राम बनाने की दिशा में काम शुरू किया है,;
जबलपुर से लौटकर खिलावन चंद्राकर
भोपाल ! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फरमान पर मध्यप्रदेश के प्राय: सभी सांसदों ने अपने - अपने क्षेत्र के किसी न किसी गांव को गोद लेकर उसे आदर्श ग्राम बनाने की दिशा में काम शुरू किया है, किन्तु इसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ सके हैं। यह पूरा मिशन एक सरकारी प्रयास बनकर दम तोडऩे लगा है। लेकिन सरकारी झमेले और राजनैतिक फरमान से इतर प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से मात्र 17 कि.मी. दूर ग्राम सिहोदा ने जनभागीदारी और सामूहिक प्रयास से बदलाव की इबारत लिखी है। यह बदलाव विकास, सामाजिक, आर्थिक, रोजगार, रहन- सहन और व्यसन मुक्ति सहित प्राय: सभी दिशा में परिलक्षित हो रहा है। इसे कर दिखाया है पुलिस के एक अधिकारी, सरपंच और गांव के कुछ उत्साही युवक-युवतियों ने।
पूर्णत: नशा मुक्त
प्रदेश में शराब बंदी की बात जोरों से उठ रही है किन्तु पर्यटन स्थल भेड़ाघाट के पास स्थित 17 सौ की जनसंख्या वाले गांव सिहोदा डेढ़ वर्ष पहले ही पूर्णत: नशा मुक्त हो चुका है। यहां शराब ही नहीं तम्बाकू खाने पीने और विक्रय पर भी प्रतिबंध है। यदि कोई शराब पीते, तम्बाकू या उससे निर्मित उत्पाद खाते या पीते मिलता है तो, उस पर जुर्माना किया जाता है। इसे रोकने के लिए गांव में महिलाओं और पुरुषों का अलग- अलग दल गठित किया गया है। नियम तोडऩे पर मामला रोज लगने वाले गांव के पंचायत में लाया जाता है और पंचायत ही उसकी आर्थिक एवं सामाजिक सजा तय करती है। इसमें भेड़ाघाट के नगर निरीक्षक एस डी. नागोतिया का महत्वपूर्ण योगदान है। संभवत: यही कारण है कि श्री नागोतिया का मोबाइल नं. हर घर के दरवाजे पर लिखा गया है ताकि पंचायत का फरमान न मानने वाले के साथ सख्ती से पेश आ सकें।
खुले में शौच मुक्त
आसपास के सैकड़ों गांव का आदर्श बन चुका ग्राम सिहोदा 1 वर्ष पहले ही खुले में शौच मुक्त गांव बन चुका है। गांव के महिला सरपंच मीरा बाई पटेल, उनके पति और पूर्व सरपंच परसराम पटेल के प्रयास से गांव में ऐसा कोई घर शेष नहीं है जहां पक्का शौचालय न हो। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास और संकल्प के कारण खुले में शौच की प्रवृत्ति भी समाप्त हो चुकी है। गांव की बुजुर्ग महिला शकुन्तला रैकवार बताती हैं, कि कुछ माह पहले तक खुले में शौच करते कोई मिलता था तो उसे पकडक़र पंचायत के सामने खड़ा कर उसे शर्मिन्दा होने देते थे और 2 सौ रुपया जुर्माना भी करते थे। अब कुछ महीनों से ऐसा करते कोई नहीं मिलता। धीरे- धीरे खुले में शौच की प्रवृत्ति गांव में समाप्त हो गई अब सभी लोग अपने- अपने घरों में बने पक्के शौचालय का उपयोग करने लगे हैं।
झोपड़ी रहित गांव
झोपड़ी या झोपड़ी नुमा कच्चे मकान के बिना किसी गांव की परिकल्पना नहीं की जा सकती किन्तु सिहोदा में चल रहे सामूहिक प्रयास से आए बदलाव के कारण अब पूरा गांव झोपड़ी मुक्त हो चुका है। अभी कुछ लोगों के मकान खपरैल के हैं किन्तु 1 वर्ष के भीतर ही गांव को ‘‘खपरा मुक्त’’ गांव बनाने की दिशा में काम चल रहा है। इस संदर्भ में पूर्व सरपंच परसराम पटेल का कहना है, कि गांव में 184 ऐेसे परिवारों को चिन्हित किया गया है जिनके झोपड़ीनुमा मकान को विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत पक्के मकान में बदला जा सके। इनमें से 46 परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना, 90 लोगों को मुख्यमंत्री आवास योजना और 35 लोगों को इंदिरा आवास योजना से लाभान्वित कर उनको पक्का मकान दिया गया। इसके बावजूद 13 परिवार ऐसे थे जिन्हें किसी भी सरकारी योजना से लाभान्वित होने का पात्र नहीं पाया गया। ऐसे परिवारों को नगर निरीक्षक की मदद लेकर जन भागीदारी के तहत जन सहयोग से पक्की छत वाला मकान मुहैय्या कराया गया है। गांव में 16-17 मकान ही खपरैल वाले हैं। हमारा लक्ष्य मार्च 2018 तक पूरे गांव को खपरा मुक्त करने का है और इसमें हम सफल भी हो जाएंगे।
दो साल से कोई अपराध नहीं
यहां हुए अन्य नवाचारों को अनुकरणीय माना जा रहा है। ग्राम सिहोदा में पिछले दो साल से कोई अपराध पुलिस थाने में दर्ज नहीं हुआ है, न ही किसी का कोई आपसी विवाद कोर्ट कचहरी तक पहुंचा है। इस संदर्भ में टी.आई.श्री नगोतिया का कहना है, कि सवा दो साल पहले जब वे गांव के संपर्क में आये तो गांव में जुआ, सट्टा, शराब खोरी और मारपीट, लड़ाई- झगड़े की शिकायतों का अबंार लगा हुआ था। उन्होंने गांव के सरपंच और उत्साही युवक, युवतियों, बुजुर्गों, पंचों की एक बैठक बुलाई। इसके बाद रोज सुबह 5 बजे गांव में प्रभात फेरी की और शाम को मंदिर में प्रार्थना सभा की शुरूआत हुई इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए। जुआ- सट्टा खेलने, शराब खोरी करने वालों को प्रार्थना सभा में बुलाकर शपथ दिलाई गई। ऐसा नहीं है, कि गांव में कोई विवाद या लड़ाई झगड़े नहीं होते, किन्तु गांव के चौपाल में बैठकर ही इन्हें राजीनामे से सुलझा लिया जाता है। थाने या कचहरी तक बात ही नहीं जाती। खुले में शौच, शराबखोरी, विवाद सुलझाने में हुए जुर्माने की राशि को गांव के विकास एवं जरूरतमंद परिवारों की मदद में लगाया जाता है।
पर्यावरण जागरुकता
गांव के लोगों में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर अच्छी जागरुकता है। प्राय: हर घर में रसोई गैस से खाना बनाया जाता है। गांव को हर दृष्टि से बेहतर बनाने में जुटे लोगों ने पाया, कि 105 परिवार ऐसे हैं जो रसोई गैस कनेक्शन लेने में समर्थ नहीं है। इनमें 75 परिवारों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिये गये। शेष बचे 30 परिवारों को भी इस योजना से लाभान्वित करने की कार्रवाई की जा चुकी है। ऐसे ही एक परिवार की मुखिया बुन्नी बाई बताती हैं, कि हमारा घर अब धुआं रहित हो गया है। कण्डे और लकड़ी के धुएं से हमारी आंखों को छुटकारा मिल गया है। यही नहीं स्थानीय जन प्रतिनिधियों के प्रयासों से 17 बायोगैस संयंत्र और 40 बर्मी कम्पोस्ट टैंक स्थापित किए गए हैं। गांव का गोबर और कचरा गांव में ही खेती के लिए खाद बनाने के काम में आ रहा है। गांव को पूरी तरह बदलने की ठान चुके लोगों ने इस जुलाई माह में पूरे गांव में 22 सौ से ज्यादा वृक्षारोपण करने की तैयारी कर ली है। प्रत्येक व्यक्ति अपने दिवंगत बुजुुर्ग के नाम पर कम से कम एक फलदार वृक्ष लगायेंगे, उसे समय पर पानी देकर उसकी सुरक्षा भी करेंगे। लगाए गए पेड़ों के लिए पंचायत की ओर से पानी और सुरक्षा के साधन दिए जाएंगे।
ऐेसे जुटाया जाता है धन
जनभागीदारी के तहत नगद दान लेकर
जनभागीदारी के तहत सामग्री दान लेकर
टेंट हाऊस और बैण्ड पार्टी से आय का आधा हिस्सा
संध्या आरती से प्रतिदिन मिले दो से ढाई सौ रुपए
पंचायत फण्ड के निर्माण कार्यों से पैसे बचाकर
खुले में शौच, मदिरा सेवन करते पाए जाने पर जुर्माना राशि
चौपाल में आपस समझौते के दौरान लगाया गया अर्थदण्ड
इनका कहना है
सामूहिक प्रयास से सब कुछ संभव है। इसी प्रयास से हमारा गांव आदर्श बन पाया है। इसमें ग्रामीणों की लगन और टी.आई.साहब का प्रयास प्रेरक बन रहा है। हमें अभी कई महत्वपूर्ण कार्य और करना है। हम यहीं नहीं रुकने वाले।
मीराबाई पटेल, सरपंच, ग्राम सिहोदा
प्रधानमंत्री के आव्हान पर सांसद अपने-अपने क्षेत्र में गांव को गोद ले रहे थे, इससे प्रेरणा मिली और किसी एक गांव को गोद लेने का विचार मन में आया। मैंने पाया कि सिहोदा के लोग किसी बड़े परिवर्तन के लिए तैयार हैं। काम शुरू किया और दो साल में इस मुकाम पर पहुंच गए। जनता, जनप्रतिनिधि और प्रशासन में परस्पर सामंजस्य बनाकर कोई काम किया जाए तो बड़ी सफलता मिलती है।
एस.डी. नगोतिया, टी.आई. भेड़ाघाट
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तर्ज पर ग्राम कन्यादान योजना भी शुरू की गई है। इस बार हमने गांव की 3 गरीब कन्याओं का विवाह संपन्न कराया। उन्हें घर- गृहस्थी के उपयोग के सामान के साथ ही 25- 25 हजार रुपए की एफ.डी. भी दी। 14 विवाह योग्य गरीब कन्याओं का विवाह भी हम रिश्ता तय होने पर कराएंगे।
परसराम पटेल, पूर्व सरपंच, ग्राम सिहोदा
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