ललित सुरजन की कलम से - गोवा में चार दिन
एक समय भारत में तीन स्थान अवकाश-प्राप्त लोगों के लिए और साधन-सम्पन्न तबकों के लिए स्वर्ग माने जाते थे;
एक समय भारत में तीन स्थान अवकाश-प्राप्त लोगों के लिए और साधन-सम्पन्न तबकों के लिए स्वर्ग माने जाते थे। पश्चिम भारत में पूना या पुणे, दक्षिण भारत में बैंगलोर या बंगलुरू और पूर्वी भारत में रांची; उत्तर भारत में तो हिल स्टेशन थे ही।
इन स्थानों पर रिटायर्ड लोग घर बना लेते थे। फिल्म अभिनेता वगैरह भी यहां अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने आया करते थे। आबोहवा अच्छी थी, खूब हरियाली थी, आस-पास जलप्रपात और अन्य सुरम्य स्थल थे, लेकिन प्रथम तो औद्योगिकीकरण ने इन स्थानों की तस्वीर विकृत कर दी।
दूसरे, अपने मूल स्वरूप में ये स्थान बड़े शहरों से भागकर आए कितने लोगों को शरण दे सकते थे? परिणाम यह हुआ कि यहां सुविधाएं चाहे जितनी हों, स्वर्ग होने का दर्जा तो इन्होंने खो ही दिया है।
(देशबन्धु में 11 दिसंबर 2014 को प्रकाशित)
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