मेरठ : कृषि विश्वविद्यालय में ए.आई. सेंटर स्थापित, छात्र समेत किसानों को भी दिया जाएगा प्रशिक्षण

सोमवार को सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। कुलपति डॉक्टर के के सिंह ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपण पंजाब के सहयोग से सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में तकनीक महाविद्यालय के अंतर्गत एक लैब में ए.आई. सेंटर स्थापित किया जा रहा है;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-07-08 07:17 GMT

  • -कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीटेक इन्नोवेशन हब का आज होगा लोकार्पण
  • -ए.आई. तकनीक के माध्यम से खेती करना अब और भी आसानः डा. के.के. सिंह
  • -नव निर्मित कृषि तकनीक नवाचार केंद्र की स्थापना से किसानों को मिल सकेगा लाभ
  • -आईआईटी रोपण पंजाब के साथ मिलकर कृषि क्षेत्र में विवि की सराहनीय पहल
  • -छात्र समेत किसानों को भी दिया जा सकेगा प्रशिक्षण

मेरठ। सोमवार को सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। कुलपति डॉक्टर के के सिंह ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपण पंजाब के सहयोग से सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय परिसर में तकनीक महाविद्यालय के अंतर्गत एक लैब में ए.आई. सेंटर स्थापित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में ए.आई. सेंटर बनकर तैयार हो चुका है जो आईआईटी रोपण पंजाब और कृषि विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से खोलने का निर्णय लिया है। 8 जुलाई यानि आज इस लैब का लोकार्पण किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में स्वागत निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट डॉ आर. एस. सेंगर एवं धन्यवाद प्रस्ताव अधिष्ठाता टेक्नोलॉजी प्रोफेसर जयवीर सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर निदेशक प्रसार डॉ पी.के. सिंह तथा तकनीक महाविद्यालय के इस केंद्र के कोऑर्डिनेटर डॉ पुष्पेंद्र कुमार सिंह भी मौजूद रहे।

कुलपति ने बताया कि इस लैब के माध्यम से यहां पर बनाई जाने वाली विशेष डिवाइस किसानों को बताएगी कि उनकी फसल में कौन सा रोग लगा है इसका इलाज कैसे कीटनाशक से हो सकता है। फसल में कब और कितने पानी और खाद की आवश्यकता पड़ेगी फसल का उत्पादन कितना बढ़ेगा। साथ ही लागत भी कम हो सकेगी इन सब तकनीक के लिए किसानो के नवाचार की जानकारी दी जाएगी और उनका समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा जिससे वह लाभान्वित हो सकेंगे। पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों को इससे लाभ मिलेगा और इससे जो नवयुवक हैं वह प्रशिक्षण लेकर अपना स्टार्टअप स्टार्ट कर सकेंगे।

कुलपति ने बताया कि जब गेहूं गाना धान आलू डालें सरसों आदि फसलों में बीमारी आती है तो यह बिना किसी की सलाह लिए ही कीटनाशक और अन्य दवाइयां का प्रयोग करते हैं आधा ढूंढ खाद का प्रयोग किया जाता है। विश्वविद्यालय में एग्रीटेक इन्नोवेशन हब के नाम से खोले जा रहे ए.आई. सेंटर में बनने वाली अलग-अलग डिवाइस बताएंगे की फसल में कब व कितनी ऊंचाई तक पानी देना है। खाद व कीटनाशक डालने व बीमारी बताने के लिए अलग-अलग डिवाइस तैयार की जाएगी। इस आई सेंटर में किसानों और नवयुवकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। यहां पर एक साथ 20 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। एक दिन में कई बैच चलाई जाने की व्यवस्था की जा रही है। सेंटर में किसानों के लिए रिसर्च करके अप तैयार किए जाएंगे।

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