यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार को राजधर्म की दिलाई याद
संसद का बजट सत्र शुरू हुए तीन हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन शायद ही कोई दिन ऐसा गया हो, जब संसद के दोनों सदनों में कामकाज हुआ हो।;
नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र शुरू हुए तीन हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन शायद ही कोई दिन ऐसा गया हो, जब संसद के दोनों सदनों में कामकाज हुआ हो।
लोकसभा और राज्यसभा में काम से ज्यादा हंगामे का शोर है। विपक्ष अपनी मांगों पर अड़ा है, लेकिन सरकार गतिरोध खत्म करने में नाकाम है। इसी को लेकर अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार को राजधर्म बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा एक किस्सा याद दिलाया है। साथ भी सदन में जारी विरोध के लिए मोदी सरकार को ही ज़िम्मेदार ठहराया है।
पिछले तीन हफ्ते से संसद के दोनों सदनों में कामकाज ठप पड़ा है। कई बिल अटके पड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इस गतिरोध के लिए ज़िम्मेदार कौन है। वो विपक्ष जो अपनी मांगों पर अड़ा है, या फिर वो सरकार जो झुकने को तैयार नहीं है।
हंगामे को लेकर सरकार तो विपक्ष को ही दोषी ठहरा रही है। लेकिन बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा भी अपनी ही सरकार को गतिरोध के लिए घेर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने गतिरोध को लेकर मोदी सरकार को राजधर्म की याद दिलाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुडे एक किस्से का भी ज़िक्र किया है।
उन्होंने बताया कि 7 अप्रैल 2003 को जब बजट सत्र में अवकाश के बाद संसद का सत्र शुरू हुआ था तब विपक्षी पार्टियां संसद में एक निंदा प्रस्ताव पारित कराने की मांग कर रही थी। उस वक्त यशवंत सिन्हा खुद विदेश मंत्री थे।
विदेश मंत्री के नाते वो विपक्ष के इस प्रस्ताव के खिलाफ थे। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने वक्तव्य जारी कर अमेरिकी हमले की निंदा की थी। बावजूद इसके संसद में हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था।
तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमें राजधर्म की याद दिलाते हुए कहा था कि संसद सुचारू रूप से चले यह सरकार की जिम्मेदारी होती है। जिसके बाद जाकर गतिरोध टूटा था। ऐसे में मोदी सरकार को भी राजधर्म निभाना चाहिए था, लेकिन इस सरकार ने ऐसा नहीं किया