विटामिन बी-12 की कमी से हो सकती हैं कई बीमारियां

पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में हर साल 1 सितम्बर से लेकर 7 सितम्बर तक 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह' मनाया जाता है;

Update: 2024-09-03 09:24 GMT

नई दिल्ली। पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में हर साल 1 सितम्बर से लेकर 7 सितम्बर तक 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह' मनाया जाता है। इसी कड़ी में लोगों का जागरूक करने का काम कर रहा है। आज हम विटामिन बी- 12 के बारे में बात करेंगे। जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर विटामिन बी- 12 की कमी से लोगों को क्या-क्या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है।

हमारे शरीर के लिए विटामिन बी-12 बेहद जरूरी है। अगर आपके शरीर में विटामिन बी-12 संपूर्ण मात्रा में नहीं है तो आप कई तरह की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। बता दें कि यही एक मात्र विटामिन है जिसे हमारा शरीर नहीं बना पाता। वर्तमान में लोगों के लिए विटामिन बी-12 की कमी एक आम समस्या है। बता दें कि विटामिन बी 12 ब्लड सेल्स को बनाता है। वहीं यह डीएनए बनाने का भी काम करता है। पुरुष और महिला में 200 pg/mlऔर 900 pg/ml के बीच विटामिन होता है। यह विटामिन बी-12 के नॉर्मल लेवल में आता है।

वहीं अगर बड़ी उम्र के लोगों की बात करें तो इसका लेवल 300 से 350 pg/ml के बीच का होता है। शरीर में विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करने के लिए कई घेरलू चीजों को लिया जा सकता है। इसमें मीट (विशेष रूप से पोर्क, लिवर और अन्य अगों के मीट में), अंडे, फोर्टिफाइड अनाज, दूध, क्लैम्स आहार, ऑइस्टर, टूना और सैल्मन विटामिन बी- 12 के अच्छे स्रोत माने जाते हैं।

विटामिन बी-12 से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी के लिए दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने बताया कि किन लोगों को विटामिन बी-12 की समस्या है इसे जानने के लिए उसके लक्षणों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। ऐसे में इसकी कमी से हाथों में झनझनाहट रहना, मुंह में अल्सर आ जाना, बहुत थकान या कमजोरी महसूस होना और एंजाइटी जैसे लक्षण शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे में मरीज को सिरदर्द, बेहोशी महसूस होना जैसी समस्याएं भी आ सकती है। आगे कहा कि इसके अलावा इस विटामिन की कमी से हाथ-पैरों में दर्द के साथ देखने में थोड़ी सी परेशानी आती है। ऐसे में एनीमिया और दिमाग से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती है। इसमें हड्डियां कमजोर होने जैसी समस्याएं भी आती है। डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने बताया कि ऐसे में ज्यादातर मरीज का डाइजेशन सहीं नही रहता, उन्हें खाना पचाने में काफी परेशानी आती है।

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