अलग हुए ट्रंप और मस्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और उनके प्रशासन में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) अर्थात प्रशासनिक दक्षता विभाग के मुखिया एलन मस्क ने अपने पद को छोड़ने का ऐलान कर दिया है;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और उनके प्रशासन में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) अर्थात प्रशासनिक दक्षता विभाग के मुखिया एलन मस्क ने अपने पद को छोड़ने का ऐलान कर दिया है। वैसे भी इस पद पर उनकी नियुक्ति मई के आखिरी तक ही थी, क्योंकि उन्हें 'विशेष सरकारी कर्मचारी' का दर्जा मिला था जिसके तहत हर साल 130 दिनों तक उन्हें संघीय नौकरी में रहने की इजाज़त थी। मस्क चाहते तो इस साल की मियाद पूरी कर, अगले साल फिर से इस विशिष्ट सरकारी नौकरी में आने की घोषणा कर सकते थे।
पाठकों को याद होगा कि जब ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो किस तरह एलन मस्क ने लगभग झूमते हुए, छोटे बच्चे को कंधों पर बिठाकर उनके सत्ता में लौटने पर खुशी का इजहार किया था। इसके बाद कई अवसरों पर मस्क अपने बच्चे के साथ ट्रंप के साथ नजर आए, यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति के ओवल ऑफिस में भी जूनियर मस्क ने ट्रंप को यह कह दिया था कि ये मेरे पापा का ऑफिस है। लेकिन हाल की कुछ घटनाओं में सामने आया कि डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के परस्पर संबंधों में कुछ तनाव बढ़ा है। और पहले जैसी गर्मजोशी और शायद विश्वास की बात अब नहीं रही, इसलिए ट्रंप से मस्क ने किनारा कर लिया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मस्क ने लिखा, 'विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में मेरा तय समय पूरा होने पर, मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे फालतू खर्च को कम करने का मौका दिया।'
बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते ट्रंप प्रशासन द्वारा लाए बजट विधेयक में मस्क को खामियां दिखी थीं, जिसका खुला इजहार उन्होंने किया था। बहुत कम अंतर के साथ यूएस हाउस ऑफ़ रेप्रेज़ेंटेटिव्स ने बजट विधेयक पास किया है, अब यह सीनेट के पास जाएगा। इस विधेयक पर मस्क की राय थी कि इससे संघीय घाटा बढ़ेगा। मस्क के मुताबिक ये विधेयक डीओजीई में किए जा रहे 'कामों को कमज़ोर' करता है। जबकि इस बजट विधेयक को ट्रंप ने 'बड़ा और सुंदर' बताया था, इस पर मस्क ने कहा था, 'यह बिल बड़ा या सुंदर हो सकता है? मुझे नहीं पता कि ये दोनों हो सकता है।'
दरअसल विधेयक में चार ट्रिलियन डॉलर के कर्ज की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव है जिसका मतलब है कि अपने खर्चों के लिए सरकार अधिक कर्ज ले सकती है, मस्क इससे असहमत हैं। उनके इस बयान के बाद से ही लगने लगा था कि ट्रंप प्रशासन और एलन मस्क के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं। लेकिन ये अकेला मामला नहीं है। जिस तरह से मस्क ट्रंप प्रशासन पर हावी हो रहे थे, उससे दूसरे मंत्रियों को उलझन होने लगी थी। खासकर कर्मियों की छंटनी और खर्च कम करने को लेकर मस्क दूसरे मंत्रियों से उलझते रहे। मस्क ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो पर विदेश विभाग में पर्याप्त स्टाफ़ की कटौती करने में विफल रहने का आरोप लगाया। इसी तरह एलन मस्क की परिवहन मंत्री सीन डफ़ी के साथ भी बहस हुई क्योंकि डीओजीई ने फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन में ट्रैफ़िक कंट्रोलर्स की संख्या कम करने की कोशिश की, जबकि उनकी संख्या पहले से ही कम है।
इस तरह के वाकयों के बाद ट्रंप को डीओजीआई की शक्तियों को परिभाषित करना पड़ा। ट्रंप ने साफ कर दिया कि अब से फ़ैसला लेने का काम मंत्रियों के पास ही होगा और मस्क की टीम का काम सिफ़र् सलाह देना होगा। ये सीधे-सीधे मस्क को मिली व्यापक शक्तियों को कम करने का कदम था। दरअसल डीओजीआई में मस्क की मनमानी दिखने लगी थी, चाहे विवेक रामास्वामी को बाहर करना हो या देश के लाखों संघीय कर्मचारियों को आधिकारिक सरकारी अकाउंट ईमेल भेज कर पेशकश करना कि उन्हें इस्तीफे़ के बदले कई महीनों का वेतन (एकमुश्त रकम) दिया जाएगा।
डीओजीआई की तरफ से कर्मचारियों को यह भी निर्देश गया कि वह बताएं कि उन्होंने सप्ताहभर में क्या काम किया। ऐसा न करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की बात की गई थी। डीओजीई ने कई ऐसे नवनियुक्त सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का भी आदेश दिया, जो प्रोबेशन पर थे और जिन्हें पूर्ण सिविल सेवा सुरक्षा नहीं मिली थी। हालांकि ऐसे आदेशों को कुछ सरकारी एजेंसियों ने मानने से इंकार कर दिया था, क्योंकि उन्हें कर्मचारियों की जरूरत है।
मस्क को साथ जोड़ने पर ट्रंप प्रशासन को बड़ा नुकसान तब भी हुआ जब अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डिवेलपमेंट (यूएसएड) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने ऐलान किया गया। मस्क तो सीधे तौर पर यूएसएड को 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' मानते हैं। लेकिन उनकी निजी राय ने बरसों से अमेरिका की इस कूटनीतिक पहल को नुकसान पहुंचाया। क्योंकि यूएस एड दुनिया भर में अरबों डॉलर की मदद बांटती है, खास तौर पर विकासशील देशों में इसकी मदद से चल रहे स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कई कार्यक्रमों के बंद होने का खतरा दिखने लगा।
दरअसल लोकतंत्र में व्यापारी की मानसिकता से फैसले नहीं लिए जा सकते, क्योंकि बहुत से जनहित कार्यक्रमों में मुनाफे की परिभाषा बदल जाती है। हर जगह वित्तीय लाभ-हानि का गणित नहीं बिठाया जा सकता। लेकिन एलन मस्क की तो असल पहचान एक उद्योगपति के तौर पर ही है, जिन्होंने स्पेसएक्स और टेस्ला जैसे उद्यम खड़े किए। सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लेकर अंतिरक्ष के आंगन तक अपनी धमक दिखाई। ट्विटर को एक्स में एलन मस्क ने तब्दील किया। अंतरिक्ष में 286 दिनों तक अटके रहे यात्रियों सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को वापस लाने में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल का योगदान रहा। उनकी हर परियोजना में मुनाफे की गुंजाइश देखकर ही फैसले लिए गए, ट्रंप सरकार में भी मस्क यही चाहते थे। शायद डोनाल्ड ट्रंप भी यही चाहते होंगे, क्योंकि वे भी राजनेता से पहले व्यापारी ही हैं। लेकिन दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति होने की भी कुछ सीमाएं होती हैं, ये बात अब ट्रंप को समझ आने लगी तो मस्क उनसे बिदकने लगे।