भेड़िया आया, भेड़िया पकड़ाया

उत्तरप्रदेश के बहराइच में पिछले कई दिनों से भेड़ियों के आतंक की खबर आ रही थी। भेड़ियों के हमले से ग्रामीण बचाव की गुहार लगा रहे थे, जिसके बाद वन विभाग हरकत में आया;

Update: 2024-09-12 08:01 GMT

- सर्वमित्रा सुरजन

देश ने बाबरी मस्जिद को तोड़कर उसी जमीन पर राम मंदिर बनते हुए देख लिया है, जबकि मस्जिद तोड़ने वाले दोषी अब तक सजा से दूर हैं। अब विहिप अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के कानूनी तरीके तलाश रहा है। इसके बाद नरेन्द्र मोदी हिंदू-मुस्लिम एकता का ज्ञान देते हैं और अमित शाह राहुल गांधी पर भाषा और धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने के आरोप लगाते हैं।

उत्तरप्रदेश के बहराइच में पिछले कई दिनों से भेड़ियों के आतंक की खबर आ रही थी। भेड़ियों के हमले से ग्रामीण बचाव की गुहार लगा रहे थे, जिसके बाद वन विभाग हरकत में आया। टीम बनाई गई, रणनीति बनाई गई, जाल बिछाया गया और अब तक पांच भेड़ियों को पिंजड़े में बंद करने में वन विभाग को सफलता मिल गई है। भेड़िए प्रकृति से हिंसक हैं, आदमखोर भी हो सकते हैं, लेकिन हैं तो आखिर में जानवर ही, जो प्रकृति के नियमों से बंधे होते हैं। उनमें छल कपट नहीं होता, चालाकी नहीं होती कि अपने दांत और नाखून छिपा कर घूमें ताकि जंगल के दूसरे जानवर उनकी असलियत पहचान न सकें। जानवर को अगर हमला करना होता है तो उसके लिए जो घात लगाई जाती है, उसकी इजाज़त प्रकृति से मिली होती है। बिना बात जानवर हमले नहीं करता, खुद की श्रेष्ठता दिखाने के लिए दूसरे जानवर को अपमानित नहीं करता, एक जानवर जंगल में पानी के स्रोत पर अपना कब्जा दिखाकर दूसरे जानवर को पानी पीने से वंचित नहीं करता। जानवर रंग या कद के हिसाब से भेदभाव नहीं करता।

इसलिए जंगल शेर, लोमड़ी, हाथी, हिरण, बंदर, गिलहरी, चींटी, सांप, नेवला, सूअर और भेड़िए सभी के सहअस्तित्व से बना है। इंसान जिसे जंगलराज कहकर अपमानित करता है, असल में उस जंगलराज से बहुत कुछ सीखे जाने की गुंजाइश बाकी है। बहरहाल, भेड़िए वन विभाग के बिछाए जाल में फंस गए, क्योंकि उनमें धूर्तता नहीं थी। अब इन हिंसक कहे जाने वाले भेड़ियों के साथ क्या सलूक होता है। उन्हें जिंदा रखा जाता है, या मार दिया जाता है, या पिंजड़े में कैद करके मनुष्यों के मनोरंजन के लिए छोड़ दिया जाता है, ये पता नहीं। लेकिन भेड़ियों को पकड़ने की इस खबर से जिज्ञासा उपजी कि समाज में जो अलग-अलग तरीकों के इंसानियतखोर हैवान घूम रहे हैं, क्या उन्हें पकड़ने या काबू में करने के लिए कोई रणनीति कभी बनेगी या समाज हमेशा इस डर में ही कैद रहेगा कि न जाने किस रंग, रूप, शक्ल में उस पर हमला हो जाए। हाल की कुछ घटनाओं से इंसानियतखोरों के खतरे को कुछ और विस्तार से समझा जा सकता है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर से एक दिल दहलाने वाला वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दिन दहाड़े, सरेआम, व्यस्त सड़क पर एक महिला के साथ बलात्कार होता रहा और इस अनाचार को रोकने की जगह उसका वीडियो बनाया गया। इस घटना ने बता दिया कि साल में दो-दो बार शक्ति की पूजा मनाने वाले इस देश में महिला सुरक्षा और सम्मान की तमाम बातें ढोंग के अलावा कुछ नहीं है। इस मामले में आरोपी को पहचान कर अब गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इस पर जिस तरह की राजनीति हुई और जनसामान्य में इस गंभीर मुद्दे पर जितनी चिंता दिखनी चाहिए थी, वह नहीं दिखी, यह सबसे अधिक परेशान करने वाला तथ्य है। मप्र में भाजपा की सरकार है और विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने जब इस मुद्दे पर सवाल उठाए तो भाजपा की ओर से कहा गया कि आरोपी पकड़ा गया है। कांग्रेस प्रदेश को बदनाम करने के कुत्सित प्रयास कर रही है। आरोपी और पीड़िता दोनों एक-दूसरे से पहले से परिचित हैं, बाकी स्पष्टता से जांच के बाद सामने आ जाएगी। भाजपा की बचाव की इन दलीलों को सुनकर आश्चर्य होता है कि यह वही भाजपा है, जो प.बंगाल में बलात्कार की घटना पर कई दिनों तक हंगामे को जारी रख सकती है, लेकिन मध्यप्रदेश में बलात्कार की घटना पर आरोपी के पकड़े जाने को उपलब्धि की तरह पेश करती है। समाज को इस तरह के तर्कों के बाद सतर्क हो जाना चाहिए, लेकिन समाज में भी मंदिर-मस्जिद की खुमारी अब तक तारी है। इसलिए मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड से लेकर उज्जैन में सरेराह बलात्कार की घटना में उसे अहसास ही नहीं हो रहा कि हम सभ्यता के पैमाने पर कितना नीचे गिर चुके हैं।

एक अन्य उदाहरण हिमाचल प्रदेश से सामने आ रहा है। जहां इस समय कांग्रेस की सरकार है, लेकिन हिंदुत्व अपनी उग्रता दिखाने के लिए बेताब दिख रहा है। शिमला के संजौली में एक मस्जिद को अवैध बताते हुए उसे गिराने की मांग करने के लिए कानून-व्यवस्था सभी को चुनौती दी जा रही है। बुधवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी संजौली में ढली सब्जी मंडी के पास पहुंच गए और चक्का जाम कर दिया गया। पुलिस ने रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और मस्जिद की तरफ बढ़ने लगे, लिहाजा पुलिस को पानी की बौछार और लाठी चार्ज का सहारा लेना पड़ा।

दरअसल कुछ समय पहले यहां दो गुटों में मारपीट हुई थी, जिसमें आरोप है कि कुछ लोग मस्जिद में जाकर छिप गए। इसके बाद से ही हिंदू संगठन मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हैं। यहां भले ही मस्जिद के अवैध निर्माण का वास्ता दिया जा रहा है, लेकिन असल में यह सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और हिंदुत्व का दबदबा कायम करने की कोशिश ही है। अगर मस्जिद अवैध तरीके से बनी है, तो उस पर नगरनिगम कार्रवाई करेगा, इसके लिए हिंदू संगठनों को शक्तिप्रदर्शन की जरूरत क्यों पड़ रही है। क्या मस्जिद गिराने की आड़ में सरकार गिराने का कोई खेल चल रहा है या फिर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाकर एक बार फिर अल्पसंख्यकों को दोयम स्थान पर दिखाने की कोई साजिश चल रही है। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, हाल के बरसों में ये तमाम राज्य सांप्रदायिक तनाव के शिकार बन चुके हैं, क्या उस कड़ी में अब हिमाचल प्रदेश को जोड़ा जा रहा है। असलियत जो भी हो, यहां भी सीधे-सीधे इंसानियत का ही शिकार हो रहा है।

एक और प्रसंग आठ सितंबर का है, जिसमें न किसी का शोषण हुआ है, न कोई उग्र प्रदर्शन या कानून हाथ में लेने जैसी घटना हुई है, सब कुछ सभ्यता के आवरण में हुआ, लेकिन उसके निहितार्थ क्या हैं, ये समझने की जरूरत है। दरअसल विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के विधि प्रकोष्ठ ने राजधानी दिल्ली में आठ तारीख को एक बैठक आयोजित की, जिसमें वाराणसी और मथुरा के मंदिरों से जुड़े कानूनी विवाद, वक्फ (संशोधन) विधेयक के साथ-साथ धर्मांतरण के मुद्दों पर चर्चा हुई। विहिप हिंदुत्ववादी संगठन है, तो वह इसी तरह के एजेंडे पर बैठक करेगा, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट के करीब 30 पूर्व जज शामिल हुए। विहिप के मुताबिक इस बैठक का उद्देश्य जजों और विहिप के बीच विचारों का स्वतंत्र विनिमय था, ताकि दोनों एक-दूसरे के प्रति समझ विकसित कर सकें। यह कितनी खतरनाक बात है कि जब वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह पर हिंदुत्ववादी संगठन के दावों जैसे मुद्दे अदालतों में लंबित हैं, तब इन्हीं मुद्दों पर शामिल बैठक में पूर्व जज शामिल हो रहे हैं।

भले कानूनी तौर पर इसमें कोई अड़चन न दिखे, लेकिन क्या इन फैसलों पर इस बैठक के प्रभाव से इंकार किया जा सकता है। पूर्व जजों के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी बैठक में उपस्थित हुए, यह और परेशान करने वाली बात है। क्योंकि सरकार और परोक्ष तरीके से न्यायपालिका दोनों विहिप के साथ रहेंगे, तो फिर निष्पक्ष फैसले कैसे लिए जाएंगे। विहिप आगे भी इस तरह बैठकें आयोजित करने पर विचार कर रहा है। एक विहिप नेता के मुताबिक विचारों का यह आदान-प्रदान विधिक समुदाय को हमारे विचार समझने में मदद करेगा, और हम हमारा एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए कुछ कानूनी समझ विकसित करेंगे। हम हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के कानूनी तरीके तलाश रहे हैं।

देश ने बाबरी मस्जिद को तोड़कर उसी जमीन पर राम मंदिर बनते हुए देख लिया है, जबकि मस्जिद तोड़ने वाले दोषी अब तक सजा से दूर हैं। अब विहिप अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के कानूनी तरीके तलाश रहा है। इसके बाद नरेन्द्र मोदी हिंदू-मुस्लिम एकता का ज्ञान देते हैं और अमित शाह राहुल गांधी पर भाषा और धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने के आरोप लगाते हैं।

समाज भेड़िया आया, भेड़िया आया की कहानी बार-बार सुनकर भी सबक नहीं ले रहा है। फिलहाल हम पांच भेड़ियों के पिंजड़े में कैद होने पर खुश हो लें, लेकिन वन विभाग के मुताबिक ऐसे भेड़िए दर्जन भर थे, यानी अभी बहुतों को काबू में करना बाकी है।

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