एनसीईआरटी की किताबों में हिन्दू धर्म को विकृत करने का आरोप
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में तैयार की गयी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में ‘हिंदू धर्म ’को विकृत किये जाने के आरोप लगे हैं;
नयी दिल्ली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में तैयार की गयी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में ‘हिंदू धर्म ’को विकृत किये जाने के आरोप लगे हैं।
ये आरोप राष्ट्रीय इतिहास अनुसंधान एवं तुलनात्मक अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष नीरज अत्रि और इस केन्द्र के निदेशक मुनीश्वर ए सागर द्वारा लिखित पुस्तक ‘ ब्रेनवाश्ड रिपब्लिक’ में लगाये गये हैं। इस पुस्तक का विमोचन पिछले दिनों राज्यसभा के मनोनीत सदस्य डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने किया।
इस पुस्तक की भूमिका भी डॉ स्वामी ने ही लिखी है। पुस्तक में लेखकद्वय ने आरोप लगाया है कि एनसीईआरटी की कक्षा छठी से लेकर बारहवीं तक की इतिहास की किताबों का अध्ययन करने से पता चलता है कि हिन्दू धर्म को विकृत कर छात्रों के लिए भारत के इतिहास के बारे में एक गलत तस्वीर पेश की गयी है, जो पूर्वाग्रह से ग्रसित है।
इन पुस्तकों में वस्तुपरक ढंग से तथ्यों को पेश नहीं किया गया है और जिन तथ्यों को शामिल किया गया है, उन्हें भी तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। लेखकद्वय ने एक सौ से अधिक आरटीआई डालकर इन किताबों के बारे में एनसीईआरटी से स्पष्टीकरण भी मांगा है और एनसीईआरटी के जवाबों को इस पुस्तक में शामिल भी किया है तथा इन जवाबों पर लेखकों ने अपनी ओर से टिप्पणी भी लिखी है।
चार सौ एकतीस पृष्ठ की इस पुस्तक के नौ अध्यायों में भारतीय इतिहास के बारे में एनसीईआरटी की किताबों में दिये गये विवरणों का खंडन भी किया गया है और आरोप लगाया गया है कि इन किताबों में भारतीय राजा-महाराजाओं की तो आलोचना की गयी है लेकिन मुस्लिम शासकों की आलोचना नहीं की गयी है और उन्हें बेहतर प्रशासक बताया गया है। साथ ही ब्राह्मणवाद की भर्त्सना की गयी है और इस तरह देश के इतिहास को गलत रूप में पेश किया गया है तथा वेद, महाभारत और रामायण की आलोचना की गयी है।