ग्रेनो में बैकलीज के नाम पर घोटाला

 यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तीन गांवों में 100 एकड़ जमीन के बैकलीज का घोटाला सामने आया है;

Update: 2017-11-29 14:02 GMT

ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तीन गांवों में 100 एकड़ जमीन के बैकलीज का घोटाला सामने आया है। जमीन की कीमत करीब 125 करोड़ रुपये आंकी गई है। घोटाला 2010 में बसपा शासनकाल के दौरान की है। आबादी की हुई बैकलीज की चल रही जांच के दौरान इसका खुलासा हुआ।

हैरत की बात यह है कि आबादी की बैकलीज का फैसला तत्कालीन जिलाधिकारी व एसएसपी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने लिया। ऐसे में जांच पूरी होने पर तत्कालीन प्राधिकरण अधिकारियों के साथ जिले के जिलाधिकारी व एसएसपी पर भी गाज गिर सकती है। 

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की जनवरी 2017 में हुई बोर्ड बैठक में आबादी के बैकलीज करने पर रोक लगाने का फैसला लिया गया था, साथ ही जिन गांवों में  बैकलीज हुई है उसकी जांच कराने पर बोर्ड ने मोहर लगाई थी। बैकलीज की जांच का जिम्मा अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमर नाथ उपाध्याय को सौंपा गया।

प्राधिकरण की अध्यक्ष व मंडलायुक्त डा. प्रभात कुमार ने जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया। अब तक दनकौर, जगनपुर व निलौनी शाहपुर गांव में बैकलीज की जांच हुई। जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि जगनपुर गांव में बीस बैकलीज के प्रकरण का निस्तारण बसपा सरकार में हुआ था। जिसमें करीब 16 प्रकरण की बैकलीज कमेटी ने नियम कानून का ताक पर रख किया। इसी तरह निलौनी ष्षाह में बीस प्रकरण में 16 प्रकरण की बैकलीज गलत तरीके से हुआ और दनकौर में भी आठ प्रकरण की बैकलीज गलत हुई। तीनों गांवों में करीब सौ एकड़ आबादी के जमीन की बैकलीज हुई। तीनों गांवों में जिन प्रकरण व खसरा नंबर की जमीन का बैकलीज हुआ जांच अधिकारी ने मौके पर जाकर देखा तो वहां आज भी कोई आबादी नही है।

बकायदा आबादी की बैकलीज पर खेती हो रही है। यह सवाल यह उठता है कि कमेटी ने किस आधार पर आबादी के नाम पर जमीन की बैकलीज कर दी। शषासनादेश के अनुसार आबादी की बैकलीज का निस्तारण करने से पहल कमेटी को मौके पर जाकर सर्वे करना होता था, जितनी जमीन पर आबादी बनी हुई उसी का बैकलीज हो सकता था। कमेटी ने मौके पर जाने के बजाय कार्यालय में बैठ कर आंख मूंदकर सौ एकड़ जमीन की बैकलीज कर दी। 

कमेटी द्वारा बैकलीज का निस्तारण करने के बाद इसका प्रस्ताव प्राधिकरण के बोर्ड में रखा गया। प्राधिकरण बोर्ड ने कमेटी के निर्णय पर मोहर लगा दी। एक तरह से देखा जाए कि अधिकारियों के सिंडीकेट ने कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमा कानून को ताक पर रखाकर सौ एकड़ आबादी के जमीन की बैकलीज कर दी।

जिससे यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को करीब 125 करोड़ रुपये का चूना लगा। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ तीन गांव में आबादी की बैकलीज हुई। कई अन्य गांवों में बैकलीज हुई जिसकी जांच चल रही हे। पूरी होने पर एक बहुत घोटाला सामने आ सकता है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भी इसी तरह आबादी के बैकलीज के नाम पर घोटाला हुआ। जिसकी जांच चल रही है। ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में हुई बैकलीज की अगर ष्षासन के उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराई जाए तो कई आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस व तहसीलदार व लेखपाल की गर्दन फंस सकती है। 

Full View

Tags:    

Similar News