संसद सत्र : कई मुद्दों पर घिरेंगे मोदी
सोमवार से शुरू होने जा रहा संसद का सत्र भारतीय जनता पार्टी प्रणीत नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) की नयी बनी सरकार के लिये कई मायनों में चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है;
सोमवार से शुरू होने जा रहा संसद का सत्र भारतीय जनता पार्टी प्रणीत नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) की नयी बनी सरकार के लिये कई मायनों में चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है। भाजपा और एनडीए से कहीं ज्यादा वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये इसलिये चुनौती बनेगा क्योंकि पहले दो बार की तरह वे ही भाजपा का चेहरा हैं और गठबन्धन का भी। यह सत्र इसलिये भी मोदी के लिये कठिन होने जा रहा है कि इस संसद में मोदी की ताकत वैसी नहीं है, जैसी 2014 का चुनाव जीतने के बाद थी; और वैसी तो बिलकुल भी नहीं जैसी कि 2019 का जीतने के बाद थी। दो दलों के समर्थन पर टिकी मोदी सरकार को जहां एक ओर बहुत मजबूत व संयुक्त विपक्ष (इंडिया) का सामना करना होगा, वहीं उनके अपने सहयोगी दलों का भी दबाव होगा। यह सत्र मोदी पर कई मुद्दों को लेकर हमले का इंतज़ार तो कर ही रहा है, यह ऐसी सरकार है जिसके काम-काज शुरू होने के पहले ही इस बात पर चर्चा हो रही है कि आखिर यह कितने दिनों तक चलेगी।
माना यह जा रहा था कि इस सरकार के प्रमुख समर्थक तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (1999-2004) तरह ही स्पीकर का पद मांगा जायेगा और न मिलने पर वह पार्टी का समर्थन नहीं करेगी। मोदी के भाग्य से कम और टीडीपी अपनी ज़रूरतों के चलते उसे समर्थन दे रही है। उसके 16 सदस्य लोकसभा के लिये चुनकर आये हैं- दूसरे प्रमुख जनता दल यूनाइटेड के 12 से कहीं ज्यादा। तो भी अंदेशा है कि स्पीकर पद को लेकर उसकी नाराजगी सीधी नहीं पर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को झेलनी पड़ सकती है।
नाराज़गी इसलिये क्योंकि अब साफ हो चला है कि मोदी सदन में अपने दल का ही स्पीकर लायेंगे। गृह, वित्त, रक्षा, रेल जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपनी ही पार्टी के पहले के मंत्रियों को देकर मोदी ने बतला दिया है कि उन्हें सहयोगी दलों पर भरोसा नहीं है। कयास थे कि गृह मंत्रालय अमित शाह को न देकर सहयोगी दल के किसी सदस्य को दिया जायेगा ताकि शाह के कामकाज व नज़रिये को पसंद न करने वाले अन्य दलों को संतुष्ट किया जा सके। मोदी ने बता दिया है कि वे सहयोगी दलों का कतई सम्मान नहीं करते। प्रोटेम स्पीकर का पद ओडिशा के वरिष्ठ सांसद भतृहरि मेहताब को देकर मोदी ने साफ संदेश दे दिया है कि वे काम तो अपनी मर्जी से ही करेंगे। प्रोटेम स्पीकर का काम मुख्यत: नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना होता है तथा जब तक स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित नहीं हो जाता तब तक सदन का काम चलाना होता है। अब तो यह भी कहा जा रहा है कि जब मोदी अस्थायी अध्यक्ष का पद तक अपने सहयोगी दल को नहीं दे सकते तो स्थायी अध्यक्ष की तो बात सोचना भी दूर की कौड़ी है।
मोदी चाहे तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में संसद में प्रवेश करने जा रहे हैं लेकिन इस बार कई असफलताओं के साथ भी वे लौट रहे हैं। पहली बात तो यह कि इस चुनाव में भाजपा के अपने बूते 370 एवं एनडीए के बल पर 400 पार का नारा फ्लॉप हो गया। उनके डेढ़ दर्जन से ज्यादा मंत्री चुनाव में बुरी तरह से हार गये। कहा यही जा रहा था कि देश भर में यह चुनाव कोई पार्टी या व्यक्ति नहीं मोदी लड़ रहे हैं। अब कम से कम संसद में वे यह कहते नहीं सुनाई देंगे- 'यह एक अकेला मोदी सब पर भारी है।Ó इतना ही नहीं, खुद मोदी वाराणसी से पहले दो बार के मुकाबले बहुत कम अंतर से जीते हैं। पहले के कुछ चक्रों में तो वे पिछड़ रहे थे। और तो और, उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले राहुल गांधी ने रायबरेली तथा वायनाड दोनों से ही बड़ी जीत दर्ज की। कांग्रेस व विपक्ष मुक्त भारत के जो सपने मोदी देख रहे थे- दोनों ही पहले से अधिक ताकतवर बनकर सदन में आ रहे हैं। कांग्रेस की शक्ति लगभग दोगुनी हो गई है। इंडिया की सदस्य संख्या भी ऐसी तगड़ी है कि विपक्ष की बेंचों की सरकार उपेक्षा नहीं कर पायेगी। मोदी के लिये बड़ी फजीहत की बात यह होगी कि सोनिय़ा गांधी राज्यसभा में तथा राहुल लोकसभा में तो होंगे ही, वायनाड की खाली हो रही सीट पर प्रियंका गांधी लड़ने जा रही हैं। माना जा रहा है कि उनकी जीत तय ही है। गांधी परिवार के प्रति घृणा भाव रखने वाले मोदी को इस परिवार का दोनों सदनों में सामना करना होगा।
इस सत्र में मोदी पर अनेक मुद्दों को लेकर विपक्ष के हमले होने तय हैं। पिछले सत्र के छूटे हुए विषय तो उठेंगे ही, कई नये मसले जुड़ने जा रहे हैं। कारोबारी गौतम अदानी व मुकेश अंबानी के साथ उनके रिश्तों पर सवाल उठेंगे। इलेक्टोरल बॉंड्स, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक व गैरकानूनी घोषित किया था, उस पर विपक्ष सरकार को आड़े हाथों लेगा। मोदी ने कहा था कि उनकी फिर से सरकार बनी तो इस योजना को संशोधित कर लाया जायेगा। देखना होगा कि वे ऐसा करेंगे या नहीं। फर्जी ओपिनियन पोल के जरिये शेयर मार्केट में कृत्रिम उछाल लाकर निवेशकों के 30 लाख करोड़ डुबाने का आरोप मोदी और शाह पर कांग्रेस ने लगाया है। इसके अलावा रेप के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना (पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा का पोता) के समर्थन में वोट मांगने, अग्निवीर योजना, नीट पेपर लीक, रेल दुर्घटना, आतंकवादी हमले, जातिगत जनगणना, रोजगार और नई न्याय संहिता आदि पर मोदी घिरेंगे।