सीएए पर हिंसा के पीछे विपक्ष, वापस नहीं होगा कानून : शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया।;
लखनऊ | केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "मैं आज डंके की चोट पर कहने आया हूं कि जिसको विरोध करना है करे, यह कानून वापस नहीं होने वाला है।" शाह मंगलवार को सीएए के समर्थन में लखनऊ में आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तृणमूल कांग्रेस को नागरिकता कानून को लेकर हो रही हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, "इस कानून को लेकर देश को गुमराह किया जा रहा है। आज विपक्ष नागरिकता कानून का विरोध कर रहा है। यह सिर्फ एक दुष्प्रचार है। इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। जिसे विरोध करना हो करें, यह वापस नहीं होगा।"
गृहमंत्री ने कहा, "नरेंद्र मोदी सीएए लेकर आए हैं। कांग्रेस, ममता बनर्जी, अखिलेश, मायावती, केजरीवाल सभी इस कानून के खिलाफ भ्रम फैला रहे हैं। विधेयक को लोकसभा में मैंने पेश किया है। मैं विपक्षियों से कहना चाहता हूं कि आप इस बिल पर सार्वजनिक रूप से चर्चा कर लो। ये अगर किसी भी व्यक्ति की नागरिकता ले सकता है, तो उसे साबित करके दिखाओ।"
अमित शाह ने कहा कि जब देश आजाद हुआ, कांग्रेस के पाप के कारण धर्म के आधार पर भारत मां के दो टुकड़े हो गए। 16 जुलाई, 1947 को कांग्रेस पार्टी ने प्रस्ताव पास करके धर्म के आधार पर विभाजन को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, "इन आंख के अंधे और कान के बहरे लोगों को वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार दिखाई नहीं दे रहा है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान तो दूर की बात, उन्हें कश्मीर में लोगों पर अत्याचार दिखाई नहीं दे रहा है। मैं आज डंके की चोट पर लखनऊ में यह कहने आया हूं कि जिसको जो करना है कर ले, सीएए वापस नहीं होने वाला है।"
शाह ने कहा, "कांग्रेस जब तक सत्ता में थी, तब तक अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर नहीं बनने दिया। कोर्ट में कपिल सिब्बल खड़े होकर केस में अड़ंगा लगाते थे। मोदी सरकार बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट में केस तेजी से चला और अब अयोध्या में आसमान छूने वाला श्रीराम का मंदिर बनने वाला है।"
उन्होंने कहा, "दो साल पहले जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे लगे। मैं जनता से पूछने आया हूं कि जो भारत माता के एक हजार टुकड़े करने की बात करें, उसको जेल में डालना चाहिए या नहीं। मोदी जी ने उन्हें जेल में डाला और ये राहुल एंड कंपनी कह रही है कि यह बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार है।"