एनटीए टीम ने एआई टूल का उपयोग करके ईपीएफओ परीक्षा में नकल करने वालों को पकड़ा

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स की मदद से शुक्रवार को चल रही ईपीएफओ परीक्षा के दौरान नकल करने वालों को पकड़ा है;

Update: 2023-08-19 09:40 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स की मदद से शुक्रवार को चल रही ईपीएफओ परीक्षा के दौरान नकल करने वालों को पकड़ा है।

एनटीए ने कहा कि नोएडा, कोलकाता और रूड़की परीक्षा केंद्रों पर नकलची पकड़े गए हैं। यह ईपीएफओ सोशल सिक्योरिटी असिस्टेंट परीक्षा में बैठने आए थे। एनटीए द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के लिए सोशल सिक्योरिटी असिस्टेंट परीक्षा 18, 21, 22 और 23 अगस्त को आयोजित की जा रही है।

एनटीए ने कहा कि नोएडा सेक्टर 62 के एक केंद्र में एआई टूल के जरिए एक उम्मीदवार के चेहरे की पहचान की जांच की जा रही थी, तभी अलार्म बज गया। इसके बाद, आधार प्रमाणीकरण जांच शुरू की गई जिससे आवेदक की वास्तविक तस्वीर का पता चला। जिसका बाद उसने गलत कार्य करना स्वीकार कर लिया और उसे आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस को सौंप दिया गया। इसी तरह एनटीए ने कोलकाता में एक और रूड़की में एक व्यक्ति को पकड़ा है।

एक व्यापक नियंत्रण तंत्र के हिस्से के रूप में, एनटीए ने ग़लत पहचान की जांच के लिए कई नियंत्रण तंत्र तैनात किए थे। एनटीए ने कहा कि उन्होंने अपने द्वारा आयोजित की जा रही ईपीएफओ सोशल सिक्योरिटी असिस्टेंट परीक्षा के दौरान कदाचार और ग़लत पहचान की जांच करने के लिए प्री-परीक्षा और परीक्षा के दौरान विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जांच को शामिल किया है।

उम्मीदवार पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान, उन फोटो की पहचान करने के लिए विभिन्न टूल्स का उपयोग करके उम्मीदवार की फोटो की जांच की जाती है जो एनटीए मानकों से मेल नहीं खाती हैं। पहचाने गए उम्मीदवारों को बाद में परीक्षा के दिन केंद्र पर बायोमेट्रिक और चेहरे की पहचान टीमों और एनटीए पर्यवेक्षकों द्वारा मान्य किया जाता है।

परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने आने वाले सभी अभ्यर्थियों को अनिवार्य रूप से विशेष सॉफ्टवेयर पर अपनी उंगलियों के निशान दर्ज कराने होंगे। उम्मीदवारों की मौके पर ही तस्वीर भी ली जाती है, जिसे संदिग्ध मामलों में डेटाबेस से मिलान किया जा सकता है।

एनटीए ने कहा कि उम्मीदवार की पहचान में किसी भी संभावित विसंगति का वास्तविक समय में पता लगाने के लिए प्रौद्योगिकी पर भरोसा किया जा रहा है।

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