शिक्षकों के मुद्दों पर गंभीर नहीं कुलपति : राजेश
दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रशासनिक करार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है और बैठकों का दौर लगातार जारी है;
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रशासनिक करार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है और बैठकों का दौर लगातार जारी है। डीयू प्रशासन ने आज फिर आपात बैठक बुलाई है और दूसरी तरफ इसे लेकर कार्यकारी समिति ने एक सवाल उठा दिए हैं।
प्रतिनिधियों ने बार-बार बैठक बुलाए जाने को लेकर आपत्ति जाहिर की है। इसके पहले भी डीयू में 7 मार्च को कार्यकारी समिति की बैठ बुलाई गई थी। कार्यकारी समिति के सदस्य डा.एके भागी का कहना है कि हम कुलपति महोदय से पूछना चाहते हैं कि वह बार-बार कार्यकारी समिति की बैठक क्यों बुला रहे हैं।
बेहतर है कि पेंशन, पदोन्नति, नियुक्ति और दाखिला संबंधी मामले को एजेंडे के रूप में एक साथ रखकर उसकी बैठक बुला लें। हर बार प्रमुख मुद्दे बैठक में छूट जाते हैं और उन्हें अगली बार लाने की बात कहकर टाल दिया जाता है। कार्यकारी समिति के सदस्य डा.राजेश झा ने भी कुलपति को पत्र लिखकर पूछा है कि आखिर कुलपति शिक्षकों के मुद्दों को लेकर गंभीर क्यों नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यदि कुलपति गंभीर होते तो इस बैठक में सभी प्रमुख लोग शामिल होते।
पिछली बैठक में भी सामाजिक विज्ञान के डीन को छोड़कर बाकी डीन नहीं आए थे। डीयू में विद्वत परिषद के सदस्य हंसराज सुमन का कहना है कि इस बार कई मुख्य एजेंडे हैं जिन पर विस्तार से चर्चा होगी। इस बैठक में दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत शैक्षिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतनमानों की सिफारिशों को स्वीकृति देना है। उनका कहना है कि इस बार की बैठक पिछली बार से ज्यादा हंगामेदार होगी क्योंकि लम्बे समय से विश्वविद्यालय में स्थाई नियुक्ति नहीं हो रही है। साथ ही 5 मार्च को यूजीसी द्वारा भेजा गया वह पत्र भी मुद्दा है जिसमें रोस्टर को विभाग व विषय के अनुसार बनाने की बात कही गई है।