संसद में आई नयी जान

संविधान का मुद्दा जनता के बीच ले जाने का कितना सकारात्मक असर हुआ है, इस बात को विपक्ष भली-भांति समझता है;

Update: 2024-06-27 07:55 GMT

- सर्वमित्रा सुरजन

संविधान का मुद्दा जनता के बीच ले जाने का कितना सकारात्मक असर हुआ है, इस बात को विपक्ष भली-भांति समझता है, इसलिए संसद के पहले दिन इंडिया गठबंधन के सभी सांसदों के हाथों में संविधान की प्रति थी और सदन में प्रवेश के पहले संविधान दिखाकर विपक्ष ने उद्घोष कर दिया कि इस बार सत्ता का तानाशाही रवैया नहीं चलेगा, प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को संविधान के अनुरूप ही कार्य करना पड़ेगा।

18वींलोकसभा के लिए हुए चुनाव, 4 जून को आए चुनाव परिणाम और फिर 24 जून से शुरु हुए संसद के विशेष सत्र में जिस तरह के नजारे देखने मिल रहे हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि भारत के लोकतंत्र में नयी जान फूंक दी गई है और वो भी संविधान के मंत्र को पढ़कर। पाठक जानते हैं कि इन चुनावों में संयुक्त विपक्ष ने संविधान बचाने को मुख्य मुद्दा बनाया और भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद इस मुद्दे को नहीं छोड़ा। भाजपा के स्टार प्रचारक के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम लीग, मंगलसूत्र, भैंस, नल की टोंटी, सावन में मटन और मछली जैसी सारी बातें कीं, लेकिन जनता से जुड़े बुनियादी मुद्दों पर बात नहीं की। जब उन्हें लगा कि संविधान के नाम पर विपक्ष जनता के बीच बढ़त बना रहा है तो उन्होंने जुबानी जमाखर्च की तरह कह दिया कि संविधान को खुद बाबा साहेब भी खत्म नहीं कर सकते। लेकिन न उनके, न किसी और भाजपा नेता के चुनाव प्रचार में संविधान को सर्वोपरि रखने का भाव नजर आया। नतीजा यह हुआ कि इस बार विपक्ष को बड़ी जीत हासिल हुई। जिस विपक्ष को पिछले 10 सालों में सदन में एकदम उपेक्षित और काफी हद तक प्रताड़ित महसूस होता था, वह विपक्ष इस बार नयी उर्जा और ऊष्मा के साथ सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

संविधान का मुद्दा जनता के बीच ले जाने का कितना सकारात्मक असर हुआ है, इस बात को विपक्ष भली-भांति समझता है, इसलिए संसद के पहले दिन इंडिया गठबंधन के सभी सांसदों के हाथों में संविधान की प्रति थी और सदन में प्रवेश के पहले संविधान दिखाकर विपक्ष ने उद्घोष कर दिया कि इस बार सत्ता का तानाशाही रवैया नहीं चलेगा, प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को संविधान के अनुरूप ही कार्य करना पड़ेगा। नरेन्द्र मोदी को भी संविधान की इस ताकत का अहसास है, इसलिए इस बार जब उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए एनडीए की ओर से चुना जा रहा था तो इसके पहले उन्होंने संसद में रखी संविधान की प्रति को सिर माथे से लगाया। हालांकि जब 24 जून को श्री मोदी सांसद की शपथ ले रहे थे तो उसी दौरान राहुल गांधी, अखिलेश यादव जैसे कई सांसदों ने पहली पंक्ति में बैठकर संविधान की प्रति उन्हें दिखाई और तब श्री मोदी थोड़े से विचलित नजर आए। दरअसल विपक्ष ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब वो सदन में संविधान के उसूलों से भटककर कार्य करने की मोहलत सरकार को नहीं देगा। शायद नरेन्द्र मोदी के परेशान दिखने की यही वजह हो।

बहरहाल, 18वीं लोकसभा के संसद के इस विशेष सत्र को इसलिए भी बरसों-बरस याद रखा जाएगा, कि किस तरह सांसदों ने अलग-अलग अंदाज में शपथ ग्रहण की। संसद में इससे पहले कभी कोई सांसद साइकिल या बैलगाड़ी में पहुंचा या किसी ने पारंपरिक वेशभूषा धारण की, तो उसी की चर्चा हो जाया करती थी। लेकिन किस सांसद ने किस अंदाज में शपथ ली, इस पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो। अब तक अमूमन सभी सांसद एक ही तरह से शपथ लेते आए हैं, बस भाषा या शैली का थोड़ा फेरबदल हो जाया करता था। इस बार संसद की यह परिपाटी भी बदल गई। नरेन्द्र मोदी को विपक्षी सांसदों ने उनके शपथग्रहण के दौरान संविधान की प्रति दिखाई, तो वहीं असम के धुबरी से रिकार्ड 10 लाख मतों से जीत हासिल करने वाले कांग्रेस सांसद रकीबुल हसन ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर शपथ ली। इसके बाद और भी सांसदों ने ऐसा ही किया। इसके साथ ही इस बार विभिन्न सांसदों ने शपथ लेने के बाद जो नारे लगाए, वो भी दिलचस्प रहे। इमरान मसूद ने शपथ लेने के बाद जय हिंद, जय भीम कहा, उनके बाद सपा के कई सांसदों ने ऐसा ही किया और समाजवाद जिंदाबाद, पीडीए जिंदाबाद कहा। फैजाबाद से जीते अवधेश पासी न केवल पहली बेंच पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ बैठे, बल्कि उन्होंने शपथ लेने के बाद समाजवाद, अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव सभी के लिए जिंदाबाद कहा। महुआ मोईत्रा जब शपथ लेने आई तो सदन में उनके समर्थन में नारे लगने लगे, जो विपक्ष की ओर से सरकार को इस बात का जवाब था कि पिछली लोकसभा में जिस तरह अडानी पर तीखे सवाल दागने वाली महुआ मोईत्रा की संसद सदस्यता छीन ली गई थी, वैसा अब नहीं हो पाएगा। जनता ने महुआ मोईत्रा को जिताकर भाजपा को गलत साबित कर दिया है। राहुल गांधी ने जब शपथ ली तो उस दौरान सदन में भारत जोड़ो के नारे लगते रहे। राहुल गांधी के हाथ में भी संविधान की लाल कवर वाली प्रति थी। वहीं अखिलेश यादव ने संविधान की नीले कवर वाली प्रति हाथ में रखी थी। जब सपा सांसद जितेंद्र दोहरे शपथ लेने गए तो उन्होंने राहुल गांधी और अखिलेश यादव दोनों से उनकी संविधान की प्रतियां लीं। अमेठी से स्मृति ईरानी को हराकर कांग्रेस की जीत दर्ज कराने वाले सांसद किशोर लाल शर्मा जब शपथ लेने उठे तो सदन में खुशी का शोर साफ सुनाई दे रहा था।

पहली बार सांसद चुने गए दलित नेता चंद्रशेखर आजाद बाबा साहेब की याद दिलाते हुए नीले रंग के बंद गले के सूट में शपथ लेने पहुंचे और इस दौरान उन्होंने डा.अंबेडकर की तस्वीर वाली संविधान की किताब हाथ में रखी थी। नमो बुद्धाय, जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय मंडल, भारतीय लोकतंत्र जिंदाबाद के नारों के साथ उन्होंने शपथ ली और सत्ता पक्ष की ओर से किसी ने उन्हें टोका कि अब क्या भाषण देंगे तो उन्होंने कहा बिल्कुल देंगे, इसलिए तो यहां आए हैं। भाजपा सांसद और शिक्षा मंत्री धर्मेन्द प्रधान जब शपथ लेने उठे तो विपक्ष ने नीट-नीट का शोर किया। इधर पूर्णिया से निर्दलीय चुने गए सांसद पप्पू यादव का भी अलहदा अंदाज नजर आया। उन्होंने री नीट लिखी हुई टी शर्ट पहनी थी। संदेश बिल्कुल साफ था कि नीट परीक्षा में धांधली के कारण छात्रों के साथ जो नाइंसाफी हुई है, उसका जवाब सरकार को देना होगा और नीट की परीक्षा फिर से करवानी होगी। पप्पू यादव ने शपथ के बाद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, सीमांचल जिंदाबाद और मानवता जिंदाबाद के साथ संविधान जिंदाबाद के नारे लगाए। प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि मेहताब उन्हें जल्दी खत्म करने का आग्रह करते दिखे और इस दौरान सत्तापक्ष से संभवत: किरण रिजिजू ने उन्हें टोका तो पप्पू यादव थोड़ा तमक कर बोल पड़े कि आप हमको सिखाइयेगा.. और आप कृपा पर जीते हैं। मैं अकेला लड़ता हूं। चौथी बार निर्दलीय चुना गया हूं तो मुझे न बताएं।

एआईएमआईएम के मुखिया और सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने संविधान के साथ-साथ फिलीस्तीन के लिए भी जिंदाबाद कहा, जिस पर अब चर्चा चल रही है कि ऐसा करना ठीक था या नहीं। टीएमसी सांसद युसूफ पठान ने गुजरात और बांग्ला की जयकार की, क्योंकि वे मूलत: गुजरात से हैं और अब प.बंगाल से सांसद हैं। विपक्ष के कई सांसदों ने अपनी शपथ के बाद संविधान के साथ-साथ जय हिंद भी कहा। वहीं भाजपा के सांसदों में बरेली के छत्रपाल सिंह गंगवार ने जय हिंदू राष्ट्र के साथ अपनी शपथ को खत्म किया। गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी बाजपेयी और नरेन्द्र मोदी के जिंदाबाद के नारे लगाए और जब इस पर विपक्ष ने शोर किया तो पलट कर आए और फिर डा.हेडगेवार जिंदाबाद का नारा भी लगाया। भाजपा सहयोगी अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने जब शपथ ग्रहण के दौरान विपक्ष की ओर से मचाए जा रहे शोर और शपथ लेने के बाद की जा रही नारेबाजी पर अध्यक्ष से शिकायत की तो सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव ने उन्हें कहा कि अब आप सुनने की आदत डाल लीजिए।

भारत की संसदीय परंपराओं से वाकिफ लोगों को सदन में शपथग्रहण के वक्त लगाए गए नारों को देखकर थोड़ा अजीब लग रहा है और बहुत से लोग इसे ठीक नहीं मान रहे हैं। हालांकि विपक्ष इस नए अंदाज से भाजपा को यह संदेश दे रहा है कि वो लोकतंत्र की इस सबसे बड़ी पंचायत में किस तरह जनता की आवाज को मुखर करता रहेगा। बुधवार को जब ओम बिड़ला को ध्वनिमत से अध्यक्ष चुन लिया गया, तब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उन्हें बधाई देते हुए यह उम्मीद जताई कि वे संविधान के अनुरूप काम करेंगे और इस सदन में विपक्ष की आवाज को दबने नहीं देंगे। पिछले दस बरसों में शूर्पणखा जैसी हंसी, बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाना, आंदोलनजीवी, एक अकेला सब पर भारी जैसे बयानों के अलावा, एक साथ सौ से अधिक सांसदों का निलंबन और विपक्षी सांसदों के भाषणों के दौरान माइक बंद करने जैसे कई कार्य हुए हैं, जिनसे असल में संसदीय परंपराएं और मर्यादा आहत हुई हैं। इस बार कम से कम संसद की शुरुआत संविधान की जयकार के साथ हुई है, तो उम्मीद बंधी है कि संविधान के साथ-साथ हम भारत के लोगों का अस्तित्व बना रहेगा, विपक्ष उसे बनाए रखेगा।

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