लाहौर : Operation Sindoor: पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) ने स्वीकार किया है कि भारत ने आपरेशन सिंदूर के तहत 10 मई को तड़के नूर खान एयरबेस पर बड़ा हमला बोला था। दोनों देशों के बीच चार दिनों तक चले सशस्त्र संघर्ष के आठ महीने बाद यह संभवतः पहली बार है, जब पाकिस्तान ने यह बात स्वीकारी है। डार ने यह भी दावा किया कि संघर्ष के दौरान इस्लामाबाद ने पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता का अनुरोध नहीं किया था। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने अपनी तरफ से नई दिल्ली से बात करने की इच्छा जताई थी।
आतंकी ढांचे को निशाना बनाया
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सात मई को आपरेशन सिंदूर शुरू कर पाकिस्तान और गुलाम जम्मू कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया था। इन हमलों के कारण दोनों देशों के बीच चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं। विदेश मंत्री डार ने दावा किया, "उन्होंने (भारत ने) पाकिस्तान की ओर 36 घंटों में कम से कम 80 ड्रोन भेजे। हम 80 में से 79 ड्रोनों को रोकने में सफल रहे, और केवल एक ड्रोन ने सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचाया। इस हमले में सैन्य कर्मी घायल भी हुए।" इसके बाद भारत ने 10 मई की सुबह नूर खान एयरबेस पर हमला बोला, जिसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की।
रूबियो ने फोन किया
डार ने बताया, "10 मई को सुबह करीब 8:17 बजे रूबियो ने उन्हें फोन किया और बताया कि भारत युद्धविराम के लिए तैयार है और पूछा कि क्या पाकिस्तान सहमत होगा।" बाद में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने उनसे संपर्क कर भारत से बात करने की अनुमति मांगी और बाद में युद्धविराम पर सहमति की पुष्टि की।" डार ने बिना कोई सुबूत दिए पहले की तरह एक बार फिर से दावा किया कि पाकिस्तान ने सात भारतीय जेट विमानों को मार गिराया था। उन्होंने एक बार फिर जम्मू और कश्मीर का राग भी अलापा।
सटीक हमले किए
उल्लेखनीय है कि पहलगाम हमले में 26 नागरिकों की हत्या के बाद अपनी कार्रवाई में 'भारत के सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर बेहद सटीक हमले किए'। चकलाल स्थित पाकिस्तानी वायुसेना बेस नूर खान को भारी नुकसान पहुंचा। सेटेलाइट तस्वीरों में रावलपिंडी स्थित नूर खान वायु सेना, सरगोधा स्थित पीएएफ बेस मुशफ, भोलारी वायु सेना और जैकबबाद स्थित पीएएफ बेस शाहबाज सहित चार पाकिस्तानी वायु अड्डों को हुए नुकसान को दर्शाया गया है। पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों को भी ध्वस्त कर दिया गया।
जरदारी को बंकर में छिपने को कहा गया था
भारत की त्वरित और सटीक जवाबी सैन्य कार्रवाई से पड़ोसी देश न केवल सामरिक दृष्टि से थर्रा उठा था, बल्कि उसका शीर्ष नेतृत्व भी बेहद खौफजदा था। पाकिस्तान में डर का आलम यह था कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को बंकर में छिपने की सलाह दी गई थी। सिंध प्रांत के लरकाना में अपनी पत्नी एवं पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में जरदारी ने इस बात की तस्दीक की। बेनजीर की 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी।
नेता बंकरों में नहीं मरते
जरदारी ने स्वीकार किया कि मई में तनाव बढ़ने के बाद नई दिल्ली के जवाबी हमलों के दौरान उनके सैन्य सचिव ने उन्हें तुरंत बंकर में छिपने की सलाह दी थी। जरदारी ने शेखी बघारते हुए कहा कि उन्होंने बंकर में जाने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल, मैंने अपने सैन्य सचिव को चार दिन पहले ही बता दिया था कि युद्ध होने वाला है। लेकिन वे उस दिन मेरे पास आए और बोले, 'सर, चलिए बंकरों में चलते हैं।' मैंने कहा, 'अगर शहादत होनी है, तो यहीं होगी। नेता बंकरों में नहीं मरते। वे युद्ध के मैदान में मरते हैं। वे बंकरों में बैठे-बैठे नहीं मरते'।