केरल स्थानीय चुनाव रिजल्ट : डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने पूरे राज्य में 102 सीटें जीती
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित संबंधों को लेकर जांच के दायरे में रही सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने केरल के हालिया स्थानीय निकाय चुनावों में पूरे राज्य में 102 सीटें जीती हैं;
केरल स्थानीय चुनावों में एसडीपीआई ने जीतीं 102 सीटें
कोच्चि। प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित संबंधों को लेकर जांच के दायरे में रही सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने केरल के हालिया स्थानीय निकाय चुनावों में पूरे राज्य में 102 सीटें जीती हैं।
एसडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष सी पी ए लतीफ के अनुसार पार्टी ने दो नगर निगमों, एक ब्लॉक पंचायत, आठ नगर पालिकाओं और 91 ग्राम पंचायतों में सीटें हासिल कीं हैं। उन्होंने इस प्रदर्शन को 'मजबूत' बताते हुए कहा कि यह सफलता निरंतर प्रशासनिक दबाव और राजनीतिक निशाना बनाए जाने के बावजूद हासिल की गयी है।
लतीफ ने कहा कि एसडीपीआई ने कन्नूर निगम, थलास्सेरी और पोन्नानी की नगर पालिकाओं, और 19 ग्राम पंचायतों में अपना खाता खोला।
एसडीपीआई उम्मीदवार 277 वार्डों में दूसरे स्थान पर रहे, जबकि 50 से अधिक वार्डों में बहुत कम अंतर से हार हुई। पार्टी से 16 पंचायतों में महत्वपूर्ण प्रशासनिक भूमिका निभाने की उम्मीद है।
लतीफ ने राजनीतिक मिलीभगत का आरोप लगाते हुए दावा किया कि लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) दोनों ने एसडीपीआई को हराने के लिए भाजपा के साथ मौन सहयोग किया था।
एसडीपीआई अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मुस्लिम लीग ने कई क्षेत्रों में भाजपा का समर्थन मांगा, जो धर्मनिरपेक्ष केरल के लिए एक 'खतरनाक संकेत' है। उनके अनुसार, चुनावों में वाम सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर दिखी, जो उनके अनुसार वाम सरकार के 'नरम हिंदुत्व के रुख', सबरीमाला स्वर्ण विवाद और बढ़े हुए कराधान के बोझ से प्रेरित थी।
लतीफ ने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि उसने सार्वजनिक विश्वसनीयता खो दी है। उन्होंने तर्क दिया कि मौजूदा राजनीतिक माहौल एक नये विकल्प की बढ़ती मांग का संकेत देता है।
गौरतलब है कि एसडीपीआई पीएफआई के राजनीतिक मोर्चे के रूप में काम करने के आरोप में लगातार राजनीतिक और सुरक्षा जांच का सामना कर रही है। उल्लेखनीय है कि पीएफआई को सितंबर 2022 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। जांच एजेंसियों ने कई राज्यों में दोनों संगठनों के बीच साझा नेतृत्व, साझा कैडर आधार और एक जैसे संगठनात्मक पैटर्न का हवाला दिया है।
भाजपा और अन्य पार्टियों ने खासकर केरल और कर्नाटक में बार-बार एसडीपीआई पर कट्टरपंथी इस्लामी उद्देश्यों से प्रेरित होने और मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उधर एसडीपीआई ने लगातार इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि वह चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत एक स्वतंत्र राजनीतिक दल है और यह संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करता है।