ट्रंप–जेलेंस्की बैठक से पहले पुतिन की चेतावनी: बातचीत नाकाम हुई तो सैन्य ताकत से पूरे होंगे लक्ष्य
पुतिन ने कहा कि अगर कीव के अधिकारी इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में रुचि नहीं दिखाते, तो रूस अपने सामने रखे गए सभी कार्यों को सैन्य तरीके से अंजाम देगा। उ;
By : Editorial Team
Update: 2025-12-28 07:05 GMT
रूसी सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, पुतिन ने कहा कि अगर कीव के अधिकारी इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में रुचि नहीं दिखाते, तो रूस अपने सामने रखे गए सभी कार्यों को सैन्य तरीके से अंजाम देगा। उन्होंने कहा कि यह बात वह पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं और मौजूदा हालात में उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। पुतिन के मुताबिक, रूस ने शुरुआत से ही राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान की बात की है, लेकिन यूक्रेन की मौजूदा सरकार ने इस दिशा में कोई वास्तविक पहल नहीं की। उनका कहना था कि यदि बातचीत केवल समय खींचने या सैन्य समर्थन हासिल करने का जरिया बनती है, तो रूस उसके जवाब में सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। यूक्रेन पर शांति के लिए गंभीर न होने का आरोप
पुतिन ने यह भी कहा कि यूक्रेन की सरकार शांति समझौते को लेकर कोई जल्दी या गंभीरता नहीं दिखा रही है। उन्होंने याद दिलाया कि एक साल पहले रूस के विदेश मंत्रालय में दिए गए अपने भाषण में भी उन्होंने यही बात कही थी। रूसी राष्ट्रपति के अनुसार, “दुर्भाग्य से आज भी हम देख रहे हैं कि कीव के नेता इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त करने के लिए गंभीर नहीं हैं।” पुतिन का यह बयान पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका की उस रणनीति पर भी अप्रत्यक्ष सवाल खड़ा करता है, जिसमें यूक्रेन को लगातार सैन्य और आर्थिक मदद दी जा रही है। कीव पर भीषण हमला, बढ़ी चिंता
पुतिन का यह सख्त रुख एक बड़े रूसी सैन्य हमले के तुरंत बाद सामने आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने रातभर में करीब 500 ड्रोन और 40 मिसाइलें कीव और उसके आसपास के इलाकों पर दागीं। इस हमले में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि लगभग 27 लोग घायल बताए जा रहे हैं। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, यह हमला करीब 10 घंटे तक चला और राजधानी के कई हिस्सों में बिजली, पानी और संचार सेवाएं प्रभावित हुईं। इस हमले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मौजूदा हालात में शांति वार्ता की कोई वास्तविक गुंजाइश बची है। जेलेंस्की का पलटवार: रूस युद्ध नहीं रोकना चाहता
कीव पर हुए इस भीषण हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इतने लंबे और व्यापक हमले से यह साफ हो जाता है कि रूस युद्ध समाप्त करने के मूड में नहीं है। जेलेंस्की ने कहा कि फरवरी 2022 में शुरू हुए इस युद्ध में अब तक दसियों हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। उनके मुताबिक, अगर रूस वास्तव में शांति चाहता, तो वह इस तरह के हमले नहीं करता। रूसी सेना की गतिविधियां और तेज
इस बीच क्रेमलिन ने जानकारी दी कि पुतिन ने हाल ही में एक रूसी सैन्य कमांड पोस्ट का दौरा किया, जहां उन्हें सेना प्रमुख जनरल वैलेरी गेरासिमोव और अन्य वरिष्ठ कमांडरों ने जमीनी हालात की जानकारी दी। रूसी अधिकारियों का दावा है कि उनकी सेना ने यूक्रेन के डोनेट्स्क और जापोरिजिया क्षेत्रों में कुछ नए कस्बों पर कब्जा कर लिया है। इन दावों ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है, क्योंकि यही इलाके संभावित शांति वार्ता में सबसे विवादित मुद्दों में शामिल हैं। डोनेट्स्क और जापोरिजिया क्यों हैं अहम?
डोनेट्स्क और जापोरिजिया क्षेत्र रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक तीनों ही नजरियों से बेहद अहम माने जाते हैं। रूस पहले ही इन इलाकों को अपने प्रभाव क्षेत्र में बताता रहा है, जबकि यूक्रेन इन्हें अपनी संप्रभुता का अभिन्न हिस्सा मानता है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि किसी भी संभावित शांति समझौते की बात होती है, तो इन क्षेत्रों की स्थिति सबसे बड़ा रोड़ा बन सकती है। रूस इन्हें छोड़ने के संकेत नहीं दे रहा, जबकि यूक्रेन किसी भी तरह की क्षेत्रीय रियायत देने को तैयार नहीं दिखता। ट्रंप–जेलेंस्की बैठक पर टिकी दुनिया की नजरें
इन तमाम घटनाक्रमों के बीच रविवार को फ्लोरिडा में होने वाली डोनाल्ड ट्रंप और वोलोदिमीर जेलेंस्की की बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब युद्ध को करीब चार साल हो चुके हैं और दोनों पक्षों को भारी सैन्य, आर्थिक और मानवीय नुकसान उठाना पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक, इस बातचीत में यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी, भविष्य की सैन्य सहायता, और जमीन से जुड़े विवाद खासतौर पर डोनेट्स्क और जापोरिजिया प्रमुख मुद्दे रहेंगे। इसके अलावा युद्धविराम या चरणबद्ध शांति प्रक्रिया जैसे विकल्पों पर भी चर्चा हो सकती है। क्या ट्रंप निभा पाएंगे निर्णायक भूमिका?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले भी यह कह चुके हैं कि यदि उन्हें मौका मिला, तो वह रूस–यूक्रेन युद्ध को जल्दी समाप्त करने की कोशिश करेंगे। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि उनके पास ऐसा कौन-सा फार्मूला होगा, जिसे दोनों पक्ष स्वीकार कर सकें। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप–जेलेंस्की बैठक से कोई बड़ा ब्रेकथ्रू तभी संभव है, जब अमेरिका और यूक्रेन दोनों रूस पर संतुलित दबाव बनाए। केवल एक पक्ष का समर्थन करने से शांति की राह आसान नहीं होगी। निर्णायक मोड़ पर
पुतिन की चेतावनी, कीव पर बड़े हमले और ट्रंप–जेलेंस्की की प्रस्तावित बैठक इन तीनों घटनाओं ने रूस–यूक्रेन युद्ध को एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि क्या कूटनीति एक बार फिर सैन्य टकराव पर भारी पड़ती है या युद्ध और लंबा खिंचने वाला है। फिलहाल पूरी दुनिया की नजरें फ्लोरिडा में होने वाली उस बैठक पर टिकी हैं, जहां से शायद इस लंबे और विनाशकारी संघर्ष के भविष्य की दिशा तय हो सकती है।