तेहरान : ईरान में आसमान छूती महंगाई और गिरती अर्थव्यवस्था के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब कई विश्वविद्यालयों तक फैल गया है। मंगलवार को छात्रों ने दुकानदारों और बाजार व्यापारियों के साथ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसके बाद सरकार ने पहली बार संवाद की पेशकश की है।
असंतोष की आग भड़की
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिमी प्रतिबंधों के दबाव में ईरानी मुद्रा रियाल 2025 में डॉलर के मुकाबले लगभग आधी रह गई है, जबकि दिसंबर में महंगाई दर 42.5 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस आर्थिक संकट ने एक बार फिर देश में असंतोष की आग भड़का दी है। मध्य ईरान के इस्फहान, दक्षिण में शिराज और उत्तर-पूर्व में मशहद सहित अन्य शहरों में भी रैलियां निकाली गईं। तेहरान के कुछ हिस्सों में पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन तेज हुए, ईरान के सेंट्रल बैंक के प्रमुख रजा फर्जिन ने इस्तीफा दे दिया।
मसूद पेजेशकियन ने दिए निर्देश
राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने इंटरनेट मीडिया पर कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को प्रदर्शनकारियों की वैध मांगें सुनने के निर्देश दिए हैं। सरकार की प्रवक्ता फातेमा मोहाजेरानी ने भी माना कि प्रदर्शन आम लोगों की आजीविका पर पड़े दबाव का नतीजा हैं और संवाद की व्यवस्था की जाएगी।
तेहरान की सड़कों पर गूंजे नारे
सत्यापित वीडियो में राजधानी तेहरान की सड़कों पर लोग मार्च करते और नारे लगाते दिखे। तेहरान के चार विश्वविद्यालयों में सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किया। इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों ने समर्थन जताया। कई उपयोगकर्ताओं ने कहा कि महंगाई और भ्रष्टाचार ने जनता को उबलते बिंदु तक पहुंचा दिया है और चेतावनी दी कि हालात ऐसे ही रहे तो आंदोलन पूरे देश में फैल सकता है।
डॉलर के मुकाबले रियाल में ऐतिहासिक गिरावट
ईरान में यह प्रदर्शन तब हुआ जब ईरान का रियाल डॉलर के मुकाबले 1.42 मिलियन तक गिर गया था। सोमवार को यह डॉलर के मुकाबले 1.38 मिलियन पर कारोबार कर रहा था। खबर लिखे जाने के समय ईरानी रियाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 42,125.00 पर कारोबार कर रहा है। तेजी से हो रही गिरावट से महंगाई का दबाव बढ़ रहा है, जिससे खाने और दूसरी जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं और घरेलू बजट पर और दबाव पड़ रहा है।
टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही ईरानी सरकार
ईरानी मीडिया में आई रिपोर्टों से चिंताएं और बढ़ गई हैं कि सरकार 21 मार्च से शुरू होने वाले ईरानी नए साल में टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही है। साल 2015 के परमाणु समझौते के समय ईरान की करेंसी डॉलर के मुकाबले 32,000 रियाल पर कारोबार कर रही थी, जिसने देश के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त नियंत्रण के बदले अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए थे।
पहले भी सख्ती से कुचले गए हैं आंदोलन
ईरान में इससे पहले भी अर्थव्यवस्था, सूखा, महिलाओं के अधिकार और राजनीतिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर बड़े प्रदर्शन हुए हैं, जिन्हें सुरक्षा बलों ने सख्ती से दबाया, बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की गईं। हालांकि सरकार ने अभी यह साफ नहीं किया है कि इस बार संवाद किस स्वरूप में होगा। यह आंदोलन जून में ईरान पर हुए अमेरिकी-इजराइली हमलों के बाद पहला बड़ा जन-आंदोलन माना जा रहा है।
ट्रंप की परमाणु हमले की चेतावनी पर ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सैन्य कार्रवाई की चेतावनी के बाद ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि किसी भी आक्रामक कदम का जवाब कड़ा और हतोत्साहित करने वाला होगा। पेजेशकियन का यह बयान ट्रंप के उस संकेत के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि ईरान दोबारा परमाणु गतिविधियां शुरू करता है तो अमेरिका हमला कर सकता है।