बांग्लादेश में एक और हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल
ताजा घटना बुधवार रात करीब 11 बजे राजबाड़ी जिले के होसेनडांगा गांव की है, जहां 29 वर्षीय अमृत मंडल उर्फ सम्राट को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही गंभीर सवाल उठ रहे हैं।;
By : Editorial Team
Update: 2025-12-26 03:42 GMT
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अमृत मंडल होसेनडांगा गांव का ही निवासी था। उसके खिलाफ पांगशा पुलिस स्टेशन में दो आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें एक हत्या का मामला भी शामिल है। स्थानीय पुलिस का कहना है कि अमृत कथित तौर पर लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में शामिल था और उसने एक गिरोह बना रखा था, जो गांव और आसपास के इलाकों में जबरन वसूली करता था। गुस्साई भीड़ ने की अमृत की पिटाई
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, अमृत कुछ समय तक भारत में छिपा रहा था और हाल ही में गांव लौटा था। आरोप है कि 24 दिसंबर की रात वह अपने कुछ साथियों के साथ गांव के निवासी शाहिदुल इस्लाम के घर गया और उससे जबरन वसूली की रकम मांगने लगा। जब घरवालों ने शोर मचाया और “चोर-चोर” चिल्लाया, तो आसपास के ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हो गए। इसी दौरान गुस्साई भीड़ ने अमृत की पिटाई शुरू कर दी। उसके अन्य साथी भागने में सफल रहे। मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ीं
भीड़ की पिटाई से गंभीर रूप से घायल अमृत को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और भीड़ हिंसा में शामिल लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और दोषियों को सख्त सजा न मिलने से ऐसी घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है। दीपू चंद्र दास की हत्या
इस घटना से पहले 18 दिसंबर को ढाका के पास भी एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई थी। वहां हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ ने हत्या कर दी थी और बाद में उसके शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया गया था। इन घटनाओं ने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है। अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप
इसी बीच बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग नेता शेख हसीना ने अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के शासन में गैर-मुसलमानों पर “अकल्पनीय और भयावह अत्याचार” हो रहे हैं। शेख हसीना का आरोप है कि अवैध तरीके से सत्ता में आई सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की आस्था और स्वतंत्रता में दखल दे रही है। उन्होंने हाल की मॉब लिंचिंग की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों को जिंदा जलाने जैसी घटनाएं देश के लिए बेहद शर्मनाक हैं। भीड़ की हिंसा के खिलाफ कड़ा संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि कानून-व्यवस्था को मजबूत किए बिना और भीड़ की हिंसा के खिलाफ कड़ा संदेश दिए बिना ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल होगा। राजबाड़ी की घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बांग्लादेश में अल्पसंख्यक वास्तव में सुरक्षित हैं, या फिर उन्हें न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।