आसुरी शक्ति के मिटने का वक्त आ गया?
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के बाद 17 मार्च को मुंबई के शिवजी पार्क में कांग्रेस पार्टी की रैली हुई;
- प्रो. रविकांत
राहुल गांधी ने हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें एक शक्ति होती है। हिन्दू धर्म के मिथकों में आसुरी शक्ति का वर्णन है, जो अन्याय और अत्याचार करती है। एक ऐसी ही शक्ति नरेंद्र मोदी को चला रही है। मेरी लड़ाई इसी शक्ति के खिलाफ है। पूंजीवादी और सामन्तवादी ताकतों के खिलाफ मैं लड़ रहा हूं।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के बाद 17 मार्च को मुंबई के शिवजी पार्क में कांग्रेस पार्टी की रैली हुई। रैली में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और तेजस्वी यादव जैसे तमाम विपक्ष के नेता एकजुट हुए। राहुल गांधी की यात्रा और देश की सियासत पर बारी-बारी से सबने बात रखी। ऐसे समय में जब विपक्षी नेताओं और लोगों पर सत्ता का बुलडोजर चल रहा है, देश राहुल गांधी की तरफ देख रहा है। जब लोकतंत्र और संविधान की सारी संस्थाएं एक-एक करके ढहाई जा रही हैं, ऐसे में सड़क का संघर्ष ही 'भारत के विचार' की रक्षा कर सकता है। जैसे आज़ादी के आंदोलन में गांधी, नेहरू, पटेल और अंबेडकर के साथ सड़क पर एकजुट होकर लोगों ने अंग्रेजी सत्ता का मुकाबला किया था, वैसे आज राहुल गांधी की दोनों यात्राओं में लोग निर्भय होकर साथ बढ़ चले। इन यात्राओं ने नफरत और डर से खामोश लबों को अन्याय और अत्याचार की आपबीती कहने-बोलने के लिए प्रेरित किया। राहुल गांधी की खासियत यह है कि वे गांधी परिवार से नेता बने, फिर नेता से लोगों की उम्मीद बने।
राहुल गांधी सच की बेखौफ आवाज हैं। शिवजी पार्क की रैली में राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी की असलियत से पर्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि- मोदी सिर्फ एक मुखौटा हैं। महज एक एक्टर हैं। असली शक्ति कहीं और है जो मोदी को संचालित कर रही है। मोदी तो कठपुतली हैं। उस शक्ति के हाथ में मोदी की बागडोर है। यह शक्ति पूंजी की सत्ता है। यह सत्ता अंबानी और अडानी की है। मोदी की जान ईडी, सीबीआई और ईवीएम में है। लेकिन यह ईडी और सीबीआई किसके लिए काम कर रहे हैं? केवल मोदी और बीजेपी के लिए नहीं बल्कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसी का इस्तेमाल अडानी के लिए हो रहा है। सड़क, सुरक्षा, बिजली के संयंत्र से लेकर के कोयले की खदान, रेलवे, एयरपोर्ट और बंदरगाह; सब कुछ अडानी के कब्जे में जा रहे हैं। पूंजी का संकेंद्रण एक-दो हाथों में हो रहा है। ऐसे ही पूंजीपतियों का 16 लाख करोड़ रुपया मोदी सरकार माफ कर देती है। लेकिन किसानों की कर्जमाफी और एमएसपी के लिए सरकार की दलील है कि उसके पास पैसा नहीं है।
5 ट्रिलियन इकॉनामी और विकसित भारत का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली में असमर्थ क्यों है? देश के नौजवानों के लिए फैलोशिप और नौकरियों के लिए सरकार के पास पैसा क्यों नहीं है? क्या मोदी नौजवानों को अंबानी-अडानी के लिए सस्ते मजदूर बनाना चाहते हैं? और तो और सेना में नौजवानों को अग्निवीर बनाकर चार-पांच साल बाद रिटायर करने की योजना है। क्या अग्निवीर जैसी योजना सरकारी खर्चे पर ट्रेनिंग देकर और रिटायर करके नौजवानों को पूंजीपतियों को सस्ते सुरक्षा गार्ड मुहैया कराना है? दुनिया के सबसे बड़े नौजवान देश के लिए नौजवानों को सामाजिक सुरक्षा हासिल नहीं है। ऐसे में देश किसी 'अनरेस्ट' की तरफ बढ़ सकता है।
लेकिन आगे का काम मोदी और आरएसएस की जिम्मेदारी पर है। नौजवान विद्रोह ना करें, इसलिए उनकी आंखों में 'सब कुछ चंगासी' वाली छवियां लगातार झोंकते रहना जरूरी है। इन छवियों को प्रसारित करने का काम मीडिया के जिम्मे है। मीडिया उसी पूंजीवादी सत्ता द्वारा संचालित है। नौजवानों को धर्म की अफीम चटाकर और छद्म राष्ट्रवाद का नश्तर देकर उनकी चेतना को सुन्न करने का काम लगातार मीडिया द्वारा किया जाता है ताकि नौजवान अपनी बदहाली और बेरोजगारी को अपनी नियति और देश के लिए कुर्बानी समझकर खामोश बैठे रहें।
राहुल गांधी ने हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें एक शक्ति होती है। हिन्दू धर्म के मिथकों में आसुरी शक्ति का वर्णन है, जो अन्याय और अत्याचार करती है। एक ऐसी ही शक्ति नरेंद्र मोदी को चला रही है। मेरी लड़ाई इसी शक्ति के खिलाफ है। पूंजीवादी और सामन्तवादी ताकतों के खिलाफ मैं लड़ रहा हूं। लेकिन नरेंद्र मोदी ने बड़ी होशियारी से राहुल गांधी के बयान का भ्रामक प्रचार करते हुए इसे स्त्री शक्ति से जोड़ दिया। 18 मार्च को नरेंद्र मोदी तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के दौरे पर थे।
तेलंगाना के जगतियाल में उन्होंने कहा कि विपक्ष कहता है कि 'उसकी लड़ाई शक्ति के खिलाफ है। मेरे लिए तो हर मां -बेटी शक्ति का रूप है। मैं इनको शक्ति के रूप में पूजता हूं और इनकी रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दूंगा।' मोदी जब ये बात कह रहे थे तो क्या उनके जेहन में मणिपुर की मां-बेटियां नहीं थीं, जिन्हें नंगा करके सरेआम घुमाया गया था और सामूहिक बलात्कार करके कत्ल कर दिया गया था? क्या मोदी हरियाणा की उन महिला पहलवानों को भूल गए थे जिनका यौन उत्पीड़न करने वाला भाजपा का सांसद आज भी उनकी पार्टी में सुशोभित है? नरेंद्र मोदी के नारी शक्ति वाले बयान को कांग्रेस और अन्य प्रतिपक्ष ने पूरी तरह से बेपर्दा कर दिया।
लेकिन राहुल गांधी ने जिस गंभीर मुद्दे की तरफ इशारा किया था वह मोदी के धर्म के आवरण में कहीं खो गया। असल में, राहुल गांधी ने अपनी दूसरी यात्रा में न्याय शब्द और उसकी अवधारणा को केंद्र में रखा था। वे लोगों को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय बहाल करने की बात कर रहे थे। जब से नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, अन्याय और अत्याचार बढ़ा है। दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के साथ अपमान और अत्याचार की घटनाएं लगातार जारी हैं। अल्पसंख्यक समाज तो रोजी रोजगार ही नहीं जिंदगी के लिए भी डर में जी रहा है। गरीबों, मजदूरों और किसानों पर आर्थिक अन्याय बढ़ा है। अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। आज किसान सड़क पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं।
लेकिन सरकार किसानों की एमएसपी की मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि पूंजीवादी शक्ति किसानों को समृद्ध होते हुए नहीं देखना चाहती। पूंजीवादी सत्ता किसानों की जमीन हड़पना चाहती है। इसी शक्ति के इशारे पर किसानों पर लाठियां और आंसू गैस के गोले बरसाए जाते हैं। सड़कों पर कीलें ठोक दी जाती हैं। क्या लोकतंत्र में कोई सरकार इतनी निर्मम हो सकती है? यही आसुरी शक्ति है जो निरीह लोगों का रक्त और बलि मांगती है। लोगों पर जितना जुल्म बढ़ेगा आसुरी शक्ति उतनी ही प्रसन्न होगी। नरेंद्र मोदी इस शक्ति के लिए लगातार किसानों, मणिपुर के लोगों, महिला पहलवानों, दलित और आदिवासियों के हकों- अधिकारों की बलि दे रहे हैं। मिथकों में लिखा है कि आसुरी शक्ति जितना मजलूमों का रक्त चूसती है, वह उतनी ही ताकतवर होती जाती है। फिर अन्याय और अत्याचार और बढ़ता है। लेकिन जब पाप का घड़ा भर जाता है तो आसुरी शक्ति का मिट जाना भी तय हो जाता है। लोकतंत्र में पूंजीवाद की जो आसुरी शक्ति है, क्या उसके मिटने का समय आ गया है?