वैभव सूर्यवंशी को मिला सबसे बड़ा अवॉर्ड, राष्ट्रपति के हाथों हुए सम्मानित
वैभव सूर्यवंशी ने विजय हजारे ट्रॉफी के पहले ही मैच में ताबड़तोड़ 190 रन कूटे थे। मगर इस मैच के बाद वो शुक्रवार को अपना अगला मुकाबला नहीं खेल पाए और इसकी वजह थी राष्ट्रपति के हाथों मिलने वाला बेहद खास पुरस्कार।;
नई दिल्ली। भारत के युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी हर बदलते दिन के साथ नई उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। सिर्फ 14 साल की उम्र में ही वैभव ने क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचा दिया है और कई रिकॉर्ड अपने नाम लिखवा लिये हैं। क्रिकेट पिच पर उनकी इस शानदार सफलता के लिए ही अब उन्हें भारत सरकार की ओर से भी सम्मानित किया गया है।
वैभव सूर्यवंशी को देश के सबसे बड़े बाल पुरस्कार, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से नवाजा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एक खास कार्यक्रम में बिहार के इस होनहार बल्लेबाज को अपने हाथों से ये अवॉर्ड दिया। वीर बाल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को 20 बच्चों को 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया। इन बच्चों को 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुना गया है।
शुक्रवार 26 दिसंबर को जब विजय हजारे ट्रॉफी में बिहार की टीम अपने दूसरे मैच के लिए मैदान पर थी, उसी वक्त इस टीम के सुपरस्टार बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मौजूद थे। मौका था प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार सम्मान का। हर साल की तरह इस बार भी देशभर के कई युवाओं और बच्चों को उनकी उपलब्धियों के लिए ये अवॉर्ड दिया गया, जिसमें किसी को उनकी बहादुरी के लिए तो किसी को खेल या संगीत या विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
बिहार के समस्तीपुर से आने वाले वैभव को क्रिकेट की दुनिया में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। IPL में सबसे छोटे खिलाड़ी और सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय बल्लेबाज बनने जैसी उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति मुर्मु ने वैभव को ये अवॉर्ड दिया। जैसे ही वैभव का नाम अवॉर्ड के लिए पुकारा गया, पूरे विज्ञान भवन में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। वैभव भी इस दौरान नांरगी रंग का ब्लेजर और सफेद कुर्ता-पायजामा पहने हुए नजर आए।
बॉर्डर पर जवानों को चाय-नाश्ता देने वाले श्रवण को भी बाल पुरस्कार
राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वाले बच्चों में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बॉर्डर पर जवानों को चाय-नाश्ता देने वाले फिरोजपुर के श्रवण सिंह भी शामिल हैं।
2 बच्चों को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया। इनमें तमिलनाडु की ब्योमा और बिहार के कमलेश कुमार का नाम शामिल है। इनके पुरस्कार माता-पिता ने लिए।
दोस्तों को करंट लगा, जान जाती उससे पहले सिद्दान ने बचा लिया
केरल के मोहम्मद सिद्दान ने अपने 2 दोस्तों की जान बचाई थी। पलक्कड़ के 11 साल के सिद्दान के दोस्तों को करंट लग गया था। उन्होंने लकड़ी की मदद से उनकी जान बचाई।
मगरमच्छ को लकड़ी से मारकर पिता को बचाया
उत्तरप्रदेश के 9 साल के अजय राज को साहस के लिए अवॉर्ड दिया गया। आगरा के अजय ने अपने पिता को मगरमच्छ की पकड़ से बचाया था। उन्होंने लकड़ी से वार कर मगरमच्छ को मारा था।
गुरु गोविंद सिंह के बेटों की शहादत के सम्मान में वीर बाल पुरस्कार
वीर बाल दिवस गुरु गोविंद सिंह के चार बेटों की शहादत के सम्मान में आयोजित किया जाता है। गुरु गोविंद सिंह के तीन पत्नियों से चार बेटे थे, जिनका नाम अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह था। इन्हें साहिबजादे भी कहा जाता है।
26 दिसंबर 1705 को चारों बेटों की मुगल सेना ने हत्या कर दी थी। उनकी शहादत का सम्मान करने के लिए PM मोदी ने 2022 में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी।
राष्ट्रपति ने कहा- बच्चों ने परिवार, समाज और देश का नाम रोशन किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरस्कार पाने वाले बच्चों से कहा, "सभी बच्चों ने अपने परिवारों, समाज और पूरे देश का नाम रोशन किया है। इसलिए, मैं इन बच्चों के परिवार वालों को भी दिल से बधाई देती हूं। मैं महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और उनकी पूरी टीम की भी तारीफ करती हूं कि उन्होंने इतने प्रतिभाशाली और होनहार बच्चों के लिए पुरस्कार समारोह आयोजित किया।"