उच्च शिक्षा के भगवाकरण के खिलाफ सत्तारूढ़ वाम नेतृत्व ने उठाया कदम

पी. श्रीकुमारन केरल में कई शिक्षक शिक्षा संस्थान स्वतंत्र संस्थान हैं, जिन्हें बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थानों (एमएचईआई) में बदलने की आवश्यकता होगी;

Update: 2024-12-06 09:34 GMT

- पी. श्रीकुमारन

केरल में कई शिक्षक शिक्षा संस्थान स्वतंत्र संस्थान हैं, जिन्हें बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थानों (एमएचईआई) में बदलने की आवश्यकता होगी। यह आवश्यक है क्योंकि एमएचईआई द्वारा पेश किया जाने वाला चार वर्षीय एकीकृत बीएड (या आईटीईपी) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत 2030 तक स्कूल शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता बन जायेगा।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ अपना रुख कड़ा कर लिया है, जो विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा का भगवाकरण करने, राज्य द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के कामकाज को कमजोर करने और सदन द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार करके राज्य विधानसभा को अप्रभावी बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

राज्य के राज्यपाल के खिलाफ एक शक्तिशाली मोर्चा खोलते हुए, माकपा के राज्य सचिव एम. वी. गोविंदन ने खान के खिलाफ 'लोकप्रिय प्रतिरोध' का आह्वान किया, जिनका कार्यकाल समाप्त होने वाला है।

गोविंदन ने कहा कि पार्टी धर्मनिरपेक्षता और संघवाद पर खान के 'अतिक्रमण' का विरोध करने के लिए छात्रों, शिक्षकों, विश्वविद्यालय कर्मचारियों, अभिभावकों, लेखकों, विचारकों, बुद्धिजीवियों के अलावा आम जनता को लामबंद करेगी। कहने की जरूरत नहीं है कि यह फैसला पहले से ही तनावपूर्ण राज्य-केंद्र संबंधों को और भी तनावपूर्ण बना देगा।

एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शीर्ष पद के लिए राज्यपाल द्वारा मनोनीत व्यक्ति ने पदभार ग्रहण करने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक एम.एस. गोलवलकर को श्रद्धांजलि देकर सभी सीमाएं पार कर ली थीं।

यह उल्लेख किया जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बिना कोई कारण बताये विधानसभा द्वारा पारित कानूनों को लागू करने में बाधा डालने के लिए खान की आलोचना की थी। केरल उच्च न्यायालय ने भी राज्य द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए कानून का उल्लंघन करने के लिए केरल के राज्यपाल की आलोचना की थी। लेकिन राज्यपाल सर्वोच्च न्यायालय और केरल उच्च न्यायालय दोनों की फटकार को नजरअंदाज करते हुए भगवावादी एजंडे को लागू करने पर अड़े हुए हैं।

एक अन्य घटनाक्रम में, उच्च न्यायालय ने डिजिटल यूनिवर्सिटी केरल के अंतरिम कुलपति के रूप में सीजा थॉमस की नियुक्ति के कुलाधिपति के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

यह आदेश राज्य सरकार द्वारा कुलाधिपति के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है। न्यायमूर्ति ए. ए. जियाद रहमान की पीठ ने कुलाधिपति सहित प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर बयान दाखिल करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 17 जनवरी, 2025 तक के लिए स्थगित कर दी है, जिसमें एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति के रूप में के. शिवप्रसाद की नियुक्ति को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई होगी।
सीजा थॉमस के खिलाफ अपनी याचिका में राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि कुलाधिपति का निर्णय केरल यूनिवर्सिटी ऑफ डिजिटल साइंसेज, इनोवेशन एंड टेक्नालॉजी एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिका में तर्क दिया गया है कि अस्थायी रिक्ति की स्थिति में कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करने का अधिकार राज्य के पास है। इसके अलावा, कुलाधिपति ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (बी) सचिव द्वारा प्रस्तावित चार अन्य नामों को खारिज कर दिया था और डॉ. थॉमस को नियुक्त किया था।

राज्य ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय अधिनियम, कुलाधिपति को नियमित कुलपति की नियुक्ति तक अपनी पसंद के व्यक्ति को अंतरिम कुलपति नियुक्त करने का अप्रतिबंधित अधिकार नहीं देता है।

इस बीच, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा शुरू किये गये चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) के कार्यान्वयन में कई बाधाएं आ रही हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कई शिक्षक शिक्षा संस्थानों में सुधार के लिए साधन की कमी है। सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कार्यक्रमों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के कारण 201 प्राथमिक शिक्षक शिक्षा संस्थानों के बंद होने की संभावना है।

संयोग से, केरल में कई शिक्षक शिक्षा संस्थान स्वतंत्र संस्थान हैं, जिन्हें बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थानों (एमएचईआई) में बदलने की आवश्यकता होगी। यह आवश्यक है क्योंकि एमएचईआई द्वारा पेश किया जाने वाला चार वर्षीय एकीकृत बीएड (या आईटीईपी) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत 2030 तक स्कूल शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता बन जायेगा।

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