लगी आग की ज़द में रक्षा खडसे

महाराष्ट्र के जलगांव में केन्द्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ जो हुआ वह दुर्भाग्यजनक तो है;

Update: 2025-03-04 02:53 GMT

महाराष्ट्र के जलगांव में केन्द्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे की बेटी के साथ जो हुआ वह दुर्भाग्यजनक तो है, लेकिन उसने प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी साहब के एक लोकप्रिय शेर की याद करा दी जिसमें वे कहते हैं-
'लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में,
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।'

देश भर में, खासकर भारतीय जनता पार्टी शासित प्रदेशों में कानून-व्यवस्था एक बड़ी समस्या बनी हुई है, लेकिन पिछले 11 वर्षों से देश को साम्प्रदायिकता और नफरत फैलाने में ऐसा व्यस्त कर दिया गया है कि बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के साथ इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर किसी का ध्यान नहीं है; या यों कहें कि जाने नहीं दिया जा रहा। रक्षा खडसे की बेटी अपनी कुछ सहेलियों के साथ शुक्रवार को जलगांव जिले के कोठली गांव में महाशिवरात्रि के अवसर आयोजित होने वाले धार्मिक मेले में घूमने गयी थी, जिसे 'संत मुक्ताई यात्रा' कहा जाता है। वहां कुछ मनचलों ने उनके साथ धक्का-मुक्की और छेड़खानी की। यहां तक कि उनके वीडियो भी बनाये, जबकि उनके साथ यूनिफॉर्म में सुरक्षाकर्मी भी थे। उनके साथ भी धक्का-मुक्की हुई। रक्षा खडसे ने रविवार को स्वयं थाने जाकर इसकी रिपोर्ट लिखाई तब कहीं जाकर पुलिस हरकत में आई और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया।

यह घटना छोटी लग सकती है लेकिन राहत इंदौरी ने जो इशारा अपने शेर में कर रखा है, वही इस घटना में छिपा हुआ संदेश है। केन्द्र सहित जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उनमें अपराधों का ग्राफ बेतरह ऊपर जाने की तस्दीक स्वयं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो अपने अधिकृत आंकड़ों में करता है। इनमें जघन्य अपराधों के साथ महिलाओं के उत्पीड़न, दुष्कर्म, उनकी हत्याओं जैसे जुर्म शामिल हैं। इसकी ओर जब ध्यान आकृष्ट किया जाता है तो स्थिति सुधारने की बजाये उनका बचाव किया जाता है या फिर उन राज्यों में होने वाले किसी अपराध की ओर उंगली उठा दी जाती है जहां गैर भाजपायी सरकार है। या कह दिया जाता है कि ऐसा भाजपा सरकार को बदनाम करने के लिये किया जा रहा है। यह रूझान भी देखने को मिलता है कि ऐसे अपराधों में हिन्दू-मुस्लिम का एंगल ढूंढा जाता है या फिर यह देखा जाता है कि इसमें कौन भाजपा समर्थक है और कौन गैर-भाजपायी। यदि अपराधी भाजपा से सम्बन्ध रखता है तो उस पर अपराध दर्ज नहीं होगा। उल्टे शिकायतकर्ता या पीड़ित पक्ष को ही लेने के देने पड़ जाते हैं।

इस मामले में सब कुछ अलग है। यहां भाजपा की 'डबल इंजिन' सरकार है। पीड़िता का सम्बन्ध भाजपा से ही है। उल्लेखनीय है कि रक्षा भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे की बहू हैं। यानी जिसके साथ छेड़छाड़ हुई है वह उनकी पोती है। साथ में महाराष्ट्र सरकार के मुहैया कराये सुरक्षा कर्मचारी भी थे। ऐसे में यदि उसके साथ अपराध होता है तो समझ सकते हैं कि कानून-व्यवस्था का क्या हाल है।

भाजपा वालों के लिये अधिक दिक्कत यह है कि जिसे पकड़ा गया है व जिनकी तलाश है, उनमें उस जमात के लोग नहीं निकले जिनके होने की ख्वाहिश हर भाजपायी, उसके प्रवक्ता, आईटी सेल, और ट्रोल आर्मी करते हैं। अब उनके पास ऐसा कुछ नहीं रह गया कि वे भाजपा का बचाव कर सकें या इस पर किसी समुदाय विशेष, दल अथवा सरकार को घेरा जा सके। घृणा फैलाने या विष-वमन करने की उनकी रही-सही गुंजाइश पर खुद रक्षा खडसे ने यह बयान देकर पानी फेर दिया कि, 'जब मंत्री की बेटी सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा?' एकनाथ खडसे ने तो अपनी सरकार को ही यह कहकर घेर लिया कि, 'महाराष्ट्र में अपराध बढ़े हैं और अपराधियों को पुलिस का डर नहीं रहा।' वैसे मुख्यमंत्री देवेन्द्र इसे 'एक राजनीतिक दल से जुड़े लोगों की करतूत' बता रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि यह वही महाराष्ट्र है जिसमें पालघर में दो साधुओं की हत्या के बाद भाजपा ने तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार को 'हिन्दू विरोधी' करार दिया था। भाजपा द्वारा अपराधों के राजनीतिकरण और दोहरे रवैये की बानगी देश तभी से देख रहा है जब से नरेन्द्र मोदी सरकार केन्द्रीय सत्ता में आई है। हिन्दू वोटों के धु्रवीकरण के लिये भाजपा ने देश को अपराधों की दुनिया में धकेल दिया है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि इसका नेतृत्व स्वयं मोदी एवं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह करते हैं। कथित बुलडोज़र न्याय वाला उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराधों में अव्वल है। हाथरस, उन्नाव आदि की घटनाओं में पीड़िताएं ही प्रताड़ित हुईं। मणिपुर की वह घटना कौन भूलेगा जिसमें ईसाईयत में विश्वास करने वाले कुकी आदिवासी समुदाय की दो युवतियों के साथ हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले मैतेयी लोगों ने क्या सलूक किया था।

उनके साथ बलात्कार हुआ फिर उनकी नग्न परेड निकाली गयी। लगभग दो साल पहले हुए इस नृशंस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर, वहां की सरकार और मोदी-शाह दोनों मौन रहे। यह मामला दुनिया भर में गूंजा था तथा जो बाइडेन के राष्ट्रपति रहते जब मोदी ने अमेरिका की यात्रा की थी, तब उनसे सवाल भी किये गये थे।

यह भी याद रखा जाना चाहिये कि महिला पहलवानों के साथ बदसलूकी करने वाले भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। और तो और, इस बार उनकी कैसरगंज सीट पर उनके पुत्र करण को सांसद बनाया गया। रक्षा खडसे की पुत्री के साथ हुई घटना के बरक्स यदि भाजपा के रवैये की तुलना की जा रही है तो यह ट्रेंड खुद भाजपा ने स्थापित किया है। देश की हर महिलाएं सुरक्षित जीवन की हकदार हैं और यह सरकारों को सुनिश्चित करना होता है। यह तभी सम्भव है जब सरकारें भेदभाव से ऊपर उठकर और राजनीति को परे कर सभी महिलाओं को एक जैसी सुरक्षा प्रदान करे- वह चाहे किसी मंत्री की पुत्री हो या महिला पहलवान, उन्नाव-हाथरस की अभागी बेटियां हों अथवा मणिपुर की प्रताड़ित युवतियां। अपराधों का समर्थन पूरे मोहल्ले को जलाकर राख कर देगा।

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