राहुल का ऐलान, भाजपा परेशान

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के एक बयान से भाजपा को उन पर और उनके बहाने कांग्रेस पर और कांग्रेस के बहाने देश की उदार, लोकतांत्रिक विरासत पर हमला करने का नया अवसर मिला;

Update: 2025-01-16 03:25 GMT

- सर्वमित्रा सुरजन

दो-दो यात्राओं और लगातार लोगों से मिल कर राहुल ने यह पाया कि आम हिंदुस्तानी नफरत नहीं प्यार से ही रहना चाहता है। उसकी चिंताएं अच्छे रोजगार, शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की है। आजाद भारत का नागरिक हर हाल में अपनी आजादी और उस संविधान को बचाकर रखना चाहता है, जिसके कारण उसे बराबरी का हक मिला, अपनी मर्जी की सरकार चुनने की आजादी मिली।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के एक बयान से भाजपा को उन पर और उनके बहाने कांग्रेस पर और कांग्रेस के बहाने देश की उदार, लोकतांत्रिक विरासत पर हमला करने का नया अवसर मिला। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया, राहुल गांधी का संबंध नक्सलियों से जोड़ा और साथ ही कांग्रेस की विचारधारा को घिनौनी तक बता दिया। गौरतलब है कि बुधवार को नयी दिल्ली में 9 ए कोटला मार्ग पर कांग्रेस के नए मुख्यालय का उद्घाटन हुआ। अब तक कांग्रेस का मुख्यालय 24 अकबर रोड पर था। 15 साल पहले 2009 में कांग्रेस ने इस नए भवन की आधारशिला रखी थी और 15 जनवरी 2025 में इसका उद्घाटन हुआ। कांग्रेस एक भवन से निकल कर दूसरे भवन में अपने कार्यालय को लेकर गई, लेकिन यह केवल कार्यालय का स्थानांतरण नहीं था, बल्कि कांग्रेस के तौर-तरीकों में स्थानांतरण का संकेत इस उद्घाटन के मौके पर दिया गया। राहुल गांधी का भाषण इसी का प्रमाण था।

राहुल गांधी अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत से भाजपा, संघ और संविधान विरोधी तमाम शक्तियों के खिलाफ संघर्ष का ऐलान करते आए हैं। जब यूपीए सत्ता में थी, तब भी और जब एनडीए सत्ता में आई, तब भी राहुल गांधी ने हमेशा देश में हाशिए पर खड़े लोगों के हक में आवाज़ बुलंद की। जब मोदी शासन में लोकतंत्र और संविधान को धता बताते हुए सांगठनिक तरीके से अल्पसंख्यकों, दलितों, किसानों, मजदूरों, स्त्रियों पर हमले शुरु हुए और नफरत का माहौल बढ़ने लगा, तो राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली और पैदल ही कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर तय किया। जब उन्हें लगा कि एक यात्रा काफी नहीं है और न्याय की लड़ाई लंबी है, तो दूसरी भारत जोड़ो यात्रा निकाली, इसमें न्याय का परचम लेकर राहुल निकले और इस बार मणिपुर से मुंबई तक का सफर तय किया, कुछ पैदल कुछ वाहन में। इन दोनों यात्राओं के बीच में और अब भी राहुल उन लोगों के बीच कभी भी पहुंच जाते हैं, जिनसे हिंदुस्तान बनता है। इन लोगों में कभी किसान होते हैं, कभी पहलवान, कभी मोची, तो कभी गिग वर्कर्स। ऐसा नहीं है कि जिन लोगों से राहुल मिलते हैं, उनकी बातें सुनते हैं, उनके साथ खाना खाते या चाय पीते घर-परिवार, व्यापार, पढ़ाई की बातें करते हैं, वे सब कांग्रेस के मतदाता होते हैं। अगर ऐसा होता तो कांग्रेस को इतनी बार, इतने राज्यों में हार का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन फिर भी राहुल आम भारतीयों से मिलते हैं, ताकि भारत के बारे में उनकी समझ और मजबूत हो और इसके साथ ही वे यह टटोल सकें कि क्या वाकई भारत ऐसा है, जिसमें घर में रखे गौ मांस के शक में किसी को पीट-पीट कर मार दिया जाता है, जहां जबरन जय श्री राम के नारे लगवाकर आतंकित करने की कोशिश होती है, जहां दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों का उत्पीड़न जाति और धर्म के आधार पर होता है।

दो-दो यात्राओं और लगातार लोगों से मिल कर राहुल ने यह पाया कि आम हिंदुस्तानी नफरत नहीं प्यार से ही रहना चाहता है। उसकी चिंताएं अच्छे रोजगार, शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की है। आजाद भारत का नागरिक हर हाल में अपनी आजादी और उस संविधान को बचाकर रखना चाहता है, जिसके कारण उसे बराबरी का हक मिला, अपनी मर्जी की सरकार चुनने की आजादी मिली। लोकसभा चुनावों में जब इसी संविधान को खत्म करने की बात भाजपा प्रत्याशियों ने की तो कांग्रेस ने, इंडिया गठबंधन ने इस बात को जनता तक पहुंचाया और नतीजा ये हुआ कि लोकसभा में भाजपा की सीटें कम हो गईं, उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसका मतलब यह कि राहुल गांधी जब नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान लगाने की बात करते हैं तो लोग उसे सुन रहे हैं, समझ रहे हैं। लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत के विचार आजादी और संविधान को लेकर अलग ही हैं।

मोहन भागवत ने कहा है कि जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई, उसी दिन भारत को सच्ची आजादी मिली। उन्होंने संविधान को लेकर भी कहा कि '15 अगस्त, 1947 को भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक आजादी मिलने के बाद, देश से निकले उस खास नजरिये के दिखाए रास्ते के अनुसार एक लिखित संविधान बनाया गया, लेकिन दस्तावेज़ के अनुसार नहीं चलाया गया।' इस भाषण के बाद राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि 'मोहन भागवत ने देश को यह बताने की जुर्रत की है कि वो स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान के बारे में क्या सोचते हैं। वास्तव में, उन्होंने जो कहा वह देशद्रोह है क्योंकि उन्होंने कहा कि हमारा संविधान अमान्य है... कोई और देश होता तो अब तक उन्हें गिरफ्तार करके उन पर मुकदमा चला रहा होता। यह कहना कि भारत को 1947 में आज़ादी नहीं मिली, हर भारतीय का अपमान है। और हमें इसे सुनना बंद करना होगा।'

राहुल गांधी ने जो कहा वो बयान कायदे से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से पहले ही आ जाना चाहिए था, कि जो देश की आजादी या संविधान के खिलाफ बोलेगा उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। लेकिन न प्रधानमंत्री, न कानून मंत्री ने इस बारे में कोई टिप्पणी की। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा का बयान आया, मगर उसमें मोहन भागवत के बयान का कोई जिक्र नहीं था और राहुल गांधी पर देश विरोधी ताकत के साथ खड़े रहने का आरोप लगाया गया। क्योंकि राहुल गांधी ने कहा कि हम केवल भाजपा या संघ से नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था के खिलाफ लड़ रहे हैं। अपने भाषण में राहुल ने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए कि उसे पारदर्शी क्यों नहीं होना चाहिए। इस भाषण ने सीधे-सीधे भाजपा के मर्म पर चोट की और तिलमिलाए जे पी नड्डा ने अब कहा है कि 'कांग्रेस का इतिहास उन सभी ताकतों को उत्साहित करने का रहा है जो कमजोर भारत चाहते हैं। सत्ता के लिए उनके लालच का मतलब देश की अखंडता से समझौता और लोगों के विश्वास को धोखा देना था। लेकिन भारत के लोग समझदार हैं।

उन्होंने फैसला कर लिया है कि वह राहुल गांधी और उनकी सड़ी हुई विचारधारा को हमेशा ठुकराएंगे। अब कांग्रेस की घिनौनी सच्चाई किसी से छिपी नहीं है, अब उनके अपने नेता ने ही इसका पर्दाफाश कर दिया है। यह कोई रहस्य नहीं है कि गांधी और उनके तंत्र का शहरी नक्सलियों के साथ गहरा संबंध है, जो भारत को अपमानित और बदनाम करना चाहते हैं। उन्होंने जो कुछ भी किया या कहा है वह भारत को तोड़ने और हमारे समाज को विभाजित करने की दिशा में है।'

मोहन भागवत ने हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने के लिए आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों का अपमान किया तो अब भाजपा अध्यक्ष ने इसमें उनका साथ दिया है, क्योंकि कांग्रेस के इतिहास का जिक्र कर उन्होंने आजादी के पहले और आजादी के बाद कांग्रेस से जुड़े लोगों की शहादत पर दाग लगाने की कोशिश की है। राहुल गांधी का संबंध देशविरोधी तंत्र और नक्सलियों से होने का दावा भाजपा पहले भी कर चुकी है, लेकिन आश्चर्य है कि पिछले एक दशक से सत्ता पर बैठी मोदी सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की। अब तक विदेशी ताकतों से साथ राहुल के गठजोड़ का आरोप भाजपा लगाती थी, अब देश में उसे अपने दुश्मन नजर आने लगे हैं। लेकिन इन दुश्मनों से मोदी सरकार निपट क्यों नहीं रही, ये भी सोचने वाली बात है।

बहरहाल, राहुल गांधी ने जिस तरह संघ की विचारधारा के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है, और बता दिया है कि पूरे देश में कांग्रेस ही अकेली पार्टी है, जो यह काम कर सकती है, यह साफ संकेत भाजपा को है कि वह देश को कभी कांग्रेस मुक्त नहीं कर पाएगी और साथ ही इंडिया गठबंधन पर सवाल उठाने वालों को भी जवाब है कि भारत के विचार को बचाने का काम कांग्रेस ही कर सकती है।

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