भारत-पाक मैच, भाजपा का नया प्रयोग
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच की अनुमति देना मोदी सरकार का एक चालाकी भरा फैसला है।;
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच की अनुमति देना मोदी सरकार का एक चालाकी भरा फैसला है। इसके जरिए भाजपा ने देश में एक नया प्रयोग करके देखा है कि जनभावनाओं को नियंत्रित करने की उसकी रणनीतियां, पैंतरें कामयाब हैं या नहीं। सूचना क्रांति के कारण हरेक क्षण में नयी खबर मोबाइल स्क्रीन पर उभरती है। हम एक खबर को ठीक से पढ़ कर उस पर मंथन कर सकें, इससे पहले नयी खबर उसे धकेल कर सामने आ जाती है। टीवी चैनल भी फटाफट वाले अंदाज में 1 मिनट में सौ खबरें सुनाकर दर्शकों को यह अहसास कराते हैं कि अब वो पूरी तरह से बाखबर है। आम नागरिक इस खुशफहमी में अब रहने लगा है कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है, इसकी सारी सूचना उसके पास है। हालांकि उसे इतना अवकाश नहीं दिया जा रहा है कि वह खबरों की पुष्टि करे या उसकी पड़ताल कर उसका विश्लेषण कर सके। सत्ता पर बैठे लोग इसका पूरा लाभ उठा रहे हैं।
भाजपा यह अच्छे से जानती है कि भारत और पाकिस्तान मैच में सबसे अधिक कमाई के मौके होते हैं। भाजपा यह भी अच्छे से जानती है कि जिस पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं, उसके साथ पहलगाम हमले के बाद मैच खेलने पर देश में सवाल उठेंगे। फिर भी भाजपा ने इस प्रयोग को करने का जोखिम उठाया, क्योंकि उसे पता है कि दोनों ही सूरतों में मुनाफा उसे ही होना है। अगर मोदी सरकार यह कहती कि हम पाकिस्तान के साथ किसी हाल में मैच नहीं खेलेंगे, तो निश्चित तौर पर जनता के बीच उसकी साख बढ़ती। ऑपरेशन सिंदूर में डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर युद्धविराम हुआ और इस पर सरकार की किरकिरी हुई, तो यह एक अच्छा मौका नरेन्द्र मोदी के पास था कि वो अपनी छवि पर लगे दाग मिटा देते। लेकिन क्रिकेट मैच से होने वाली कमाई को देखते हुए मोदी सरकार ने मैच खेलने का फैसला लिया। यहीं उसने एक और प्रयोग किया। जिसके तहत भाजपा नेता अब जनता को यह समझा रहे हैं कि भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मैच कभी नहीं खेलेगा, लेकिन एशिया कप में सारी टीमें खेल रही हैं और हम मैच से पीछे हटेंगे तो हमारे प्वाइंट्स कम होंगे। इसलिए मजबूरी में मैच खेलना पड़ रहा है। हालांकि पाकिस्तान को हमने अब भी माफ नहीं किया है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि बापू के अपमान पर प्रज्ञा ठाकुर को वो दिल से माफ नहीं करेंगे लेकिन संसद में प्रज्ञा ठाकुर ने गोडसे की तारीफ की और मोदी अपना दिल ही टटोलते रह गए।
बहरहाल, खबरों के तमाम प्लेटफार्म्स पर अलग-अलग तरीकों से इसी नैरेटिव को आगे बढ़ाया जा रहा है कि मोदी सरकार अब भी पाकिस्तान के खिलाफ है, लेकिन मैच खेलना मजबूरी है। भाजपा जानती है कि जनता का एक बड़ा वर्ग जो मुखर होकर मैच का विरोध कर रहा है, वह भी मौका लगते ही उसका मजा उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। ऐसे लोगों को उलझाने के लिए न्यूज एंकर्स को भी भाजपा ने आगे कर दिया है, जो क्रिकेट खिलाड़ियों को बेहूदे तरीके से चुनौती दे रहे हैं कि इस मैच का बहिष्कार करो, हिम्मत है तो मैदान में मत उतरो। इन एंकर्स में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे अमित शाह से सीधा सवाल करें कि आप गृहमंत्री हैं और आपके अधीन आने वाली जांच एजेंसियों की विफलता के कारण पहलगाम हमला हुआ। आपके बेटे जय शाह आईसीसी के चेयरमैन हैं और वो भारत-पाक मैच को रद्द नहीं करवा सके।
अगर भारत को एशिया कप खेलना ही था तो टीमों का बंटवारा इस तरह भी हो सकता था कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे से खेलने की नौबत न आए, या उनके आपस में न खेलने से किसी को भी प्वाइंट्स का नुकसान न हो। लेकिन जय शाह ऐसा करते तो फिर मैच से होने वाली खरबों की कमाई भी हाथ से निकल जाती। इसलिए ऑपरेशन सिंदूर की जगह अब भाजपा चर्चा चला रही है कि खून और क्रिकेट साथ में चल सकते हैं, क्योंकि खेल, कला ये सब राजनीति से दूर रहने चाहिए। हालांकि इसी भाजपा सरकार ने पाकिस्तानी कलाकारों फवाद खान और हानिया आमिर की उन फिल्मों का प्रदर्शन रुकवा दिया है, जो भारत में बनी हैं। यू ट्यूब, इंस्टाग्राम आदि पर कई पाकिस्तानी हस्तियों के एकाउंट्स बंद किए गए हैं। अपनी सुविधा से राष्ट्रवाद की परिभाषा और कायदे गढ़ने वाली भाजपा देश में प्रयोग कर रही है कि आखिर जनता को भटकाने में वह कहां तक कामयाब हो सकती है।
भाजपा के लिए सत्ता और कमाई से बढ़कर कुछ नहीं है, यह बात एक बार फिर जाहिर हो चुकी है। भारत और पाकिस्तान के किसी भी मैच में विज्ञापनों, मैच की टिकटों, टीवी पर प्रसारण आदि से प्रत्यक्ष तौर पर सफेद कमाई होती है और सट्टेबाजी में परोक्ष तौर पर कमाई की जाती है। खरबों रूपयों की काली कमाई चंद मिनटों में स्विस बैंक जैसे खातों में पहुंचती है। सट्टेबाजी का यह धंधा राजनैतिक सरपरस्ती और प्रशासनिक सहयोग से चलता है। इसलिए क्रिकेट एसोसिएशन्स में राजनेताओं या उनके रिश्तेदारों को मुखिया बनाया जाता है। यह महज संयोग नहीं है कि नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद सरकार में दूसरे स्थान पर सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले अमित शाह के बेटे जय शाह पहले बीसीसीआई में रहे और अब आईसीसी में चेयरमैन बने हैं। जो 14 तारीख के मैच से बड़ी कमाई की उम्मीद लगाए बैठा है। नरेन्द्र मोदी ने एक बार सही कहा था कि व्यापार उनके खून में है।