ललित सुरजन की कलम से- मोदी सरकार : तीस दिन
'घरेलू मोर्चे पर गृहमंत्रालय ने हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के बारे में जो परिपत्र जारी किया उसने एक अनावश्यक विवाद को जन्म दिया;
'घरेलू मोर्चे पर गृहमंत्रालय ने हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के बारे में जो परिपत्र जारी किया उसने एक अनावश्यक विवाद को जन्म दिया। इसके पहले उनके मंत्री जनरल वी.के.सिंह, नजमा हैपतुल्ला और डॉ.जितेन्द्र सिंह ने जो बयानबाजी की उनसे भी सरकार के भावी इरादों को लेकर वृहत्तर समाज में चिंता का वातावरण बना।
अभी दो दिन पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आईपीएस में भर्ती के नियमों को शिथिल करने की वकालत की है उसका असली उद्देश्य क्या है यह समझ नहीं आया हैं।
इसी मंत्रालय में सफाई अभियान के नाम पर डेढ़ लाख पुरानी फाइलें नष्ट कर दी गई। यह खबर चौकाने वाली है। हमारे देश में दस्तावेजीकरण के प्रति अनादिकाल से अवज्ञा भाव रहा है इससे कई मामलों में भ्रम पैदा होता है।
आज की व्यवस्था में यह अनुकरणीय नहीं है। सरकार ने यह नहीं बताया कि कौन सी फाईलें नष्ट की गई हैं और इस तरह पारदर्शिता की अवहेलना हुई है।'
(देशबन्धु में 27 जून 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/06/blog-post_26.हटम्ल