ललित सुरजन की कलम से- ट्रंंप का एजेंडा
'यह इतिहास की विडंबना है कि ट्रंप की कुदृष्टि जिन सात देशों पर पड़ी है वहां के वर्तमान हालात के लिए स्वयं अमेरिका बड़ी हद तक जिम्मेदार है;
'यह इतिहास की विडंबना है कि ट्रंप की कुदृष्टि जिन सात देशों पर पड़ी है वहां के वर्तमान हालात के लिए स्वयं अमेरिका बड़ी हद तक जिम्मेदार है। यह अमेरिका ही था जिसने इराक और ईरान के बीच दस साल तक चले खाड़ी युद्ध को प्रोत्साहित किया जिससे दोनों देश आंतरिक रूप से बहुत कमजोर हो गए। ईरान का शासक रजा शाह पहलवी अमेरिका का पिठ्ठू था। उसके खिलाफ बगावत हुई और अयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व में अमेरिका विरोधी शिया कट्टरपंथी सरकार काबिज हुई जो अमेरिका को नागवार गुजरी। उस समय से बिगड़े संबंध अभी तक सामान्य नहीं हो सके हैं।
आज ईरान से जो लोग भागकर अमेरिका में पनाह मांग रहे हैं वे अपने ही देश की सरकार द्वारा सताए गए लोग हैं। यह सीधी बात ट्रंप की बुद्धि में नहीं आ रही है। ईराक के सद्दाम हुसैन की अमेरिकापरस्ती हमने देखी है। उसी सद्दाम हुसैन को अमेरिका ने दुनिया का सबसे बड़ा खलनायक बना दिया, जबकि हकीकत उससे बिल्कुल विपरीत थी। आज ईराक में अमेरिकापरस्त सरकार है। इसके बाद अगर वहां से शरणार्थी आ रहे हैं तो उनसे अमेरिका को क्यों कर गुरेज होना चाहिए?'
'जो ईरान की स्थिति है ठीक वैसे ही हालात लीबिया के हैं। कर्नल गद्दाफी की पराजय और मौत के बाद आज उस देश पर अमेरिका का ही कब्जा है ऐसा कहें तो गलत नहीं होगा, लेकिन अपने देश की बदहाली से परेशान लोग बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका का रुख कर रहे हैं तो वे आतंकवादी कैसे हो गए? यमन, सोमालिया और सूडान में भी स्थितियां बहुत खराब है। सूडान को तो पश्चिम की साम्राज्यवादी ताकतों ने मिलकर दो देशों में बांट दिया। यहां से जो शरणार्थी आ रहे हैं वे अपनी ही सरकार से डरकर भागे हुए लोग हैं। सीरिया की जहां तक बात है वहां तो गृहयुद्ध भडक़ाने का काम अमेरिका ने ही किया था। वहां की विद्रोही सेना को अमेरिका ने ओबामा के समय में लगातार मदद पहुंचायी, तो फिर वहां से जो लोग आ रहे हैं क्या उन्हें पनाह देना अमेरिका की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है?'
(देशबन्धु में 02 फरवरी 2017 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/02/blog-post.html