कानून का इकबाल

सत्ता के नशे में आम आदमी के अधिकारों को कैसे कुचला जा रहा है इसका ताजा उदाहरण उत्तरप्रदेश के मेरठ से सामने आया है;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-10-22 21:40 GMT

सत्ता के नशे में आम आदमी के अधिकारों को कैसे कुचला जा रहा है इसका ताजा उदाहरण उत्तरप्रदेश के मेरठ से सामने आया है। मंगलवार को मेरठ के एक व्यापारी सत्यम रस्तोगी अपने मित्र के साथ रात को खाने पर एक होटल पहुंचे, जहां एक स्थानीय भाजपा नेता के साथ पार्किंग को लेकर उनका विवाद हुआ। जिसके बाद उस नेता ने व्यापारी को न केवल अपशब्दों से अपमानित किया, बल्कि जमीन पर नाक रगड़ कर माफी मंगवाई। इस पूरे वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, हालांकि इसे देखकर आम लोगों में नाराजगी और दुख का जो भाव व्यापक पैमाने पर उभरना चाहिए था, जो नजर नहीं आया। संभवत: जनता ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि सत्ता पर बैठे लोगों के करीबियों या पुलिस प्रशासन के पास यह ताकत है कि वह कानून अपने हाथ में लें, सही-गलत की परवाह न करके आम लोगों के साथ अपमानजनक व्यवहार करें। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। लोगों में अपने हक के लिए आवाज उठाने की हिम्मत होनी चाहिए। संविधान में यह हिम्मत मौलिक अधिकारों के तौर पर परिभाषित है। ये मौलिक अधिकार हरेक नागरिक को समानता, सम्मान और गरिमा का जीवन सुनिश्चित करते हैं। मगर ये अधिकार तभी कायम रहेंगे और अपना असर दिखाएंगे, जब जनता ही यह मान लेगी कि मेरठ जैसी घटनाएं तो आम हैं, तब तो मौलिक अधिकारों के कमजोर होने और उसके साथ संविधान के अप्रासंगिक होने के खतरे और बढ़ जाएंगे।

मेरठ का जो वीडियो वायरल हुआ, उसमें विकुल चपराणा नाम का भाजपा नेता पुलिस की मौजूदगी में व्यापारी सत्यम रस्तोगी से जमीन पर नाक रगड़वाते और गालियां देते देखा जा सकता है। यह वही भाजपा है जिसने प्रधानमंत्री की मां को कहे गए अपशब्द पर बिहार बंद करवाया था, और राहुल गांधी के रायबरेली आने पर रास्ता जाम कर उनका काफिला रोका था। प्रधानमंत्री की मां को जब अपशब्द कहे गए, तब राहुल गांधी वहां थे भी नहीं, फिर भी उनके खिलाफ जी भर के अपमानजनक टिप्पणियां की गईं। खुद नरेन्द्र मोदी इस मुद्दे को भुनाते हुए बात को छठी मईया तक ले गए। उन्हें लगता है कि इस तरह बिहार में भाजपा को चुनावी फायदा होगा। लेकिन स्त्री का अपमान या स्त्रियों के नाम पर कहे गए अपशब्द चुनावी लाभ-हानि से कहीं अधिक गंभीर मसला है। यह व्यक्ति की निकृष्ट मानसिकता को जाहिर करता है। मेरठ में विकुल चपराणा ने इसी मानसिकता का प्रदर्शन सत्यम रस्तोगी को अपशब्द कहने में किया। श्री रस्तोगी ने इस अपमान को बर्दाश्त किया, क्योंकि वहां खड़ी पुलिस भी इस तमाशे को देखती रही। पुलिस ने आम आदमी के अधिकार की रक्षा का अपना दायित्व पूरा नहीं किया। एक और वीडियो भी सामने आया है, जिसमें पुलिस अधिकारी ही व्यापारी पर माफी मांगने का दबाव बना रहे हैं। पीड़ित सत्यम रस्तोगी ने बताया कि मैंने सिर्फ पार्किंग मांगी थी, लेकिन मंत्री का नाम लेकर धमकी दी गई। एसआई साहब ने भी माफी मांगने को कहा, वरना कार जब्त हो जाएगी। इसलिए अपमान सहना पड़ा। इस बयान से जाहिर है कि पुलिस भी सत्ता के चाकर की तरह व्यवहार करने लगी है, जबकि उसे आम जन के रक्षक की तरह होना चाहिए।

बता दें कि भाजपा नेता विकुल खुद को ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर का भाई बताता रहा और हंगामा करता रहा। विकुल चपराणा ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बतौर छात्र नेता अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत पांच साल पहले की और जल्द ही गुर्जर समाज में अपनी पकड़ मजबूत की। इसके बाद विकुल चपराणा उत्तर प्रदेश सरकार के गुर्जर समाज से आने वाले ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर का करीबी बन बैठा। विकुल ने मेरठ, गाजियाबाद और आसपास के जिलों में गुर्जर समाज को एकजुट करने की मुहिम चलाई। कई बार भाजपा के कार्यक्रमों और अभियानों में उसे मंच साझा करते हुए भी देखा गया है। ऊर्जा मंत्री के दम पर विकुल की पंचायत चुनाव में प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। लेकिन इस घटना ने हालात बदल दिए हैं।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और कुछ लोगों ने इस मामले की आलोचना की, तो मेरठ के एसएसपी ने एसआई, हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया। वहीं केस दर्ज कर विकुल चपराणा को गिरफ्तार किया गया, हालांकि अब उसे जमानत भी मिल गई है। जिन डॉ. सोमेंद्र तोमर का नाम लेकर विकुल हंगामा कर रहा था, उन्होंने कहा कि योगी की सरकार है, इसमें जांच के बाद दोषी को सज़ा मिलेगी। उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा बहुत बड़ी पार्टी है, समर्थक भी बहुत हैं, जो भी मामला है, उस पर पुलिस अपनी जांच कर रही है। मगर ये भी देखना होगा कि ऐसे हालात क्यों बने।

डॉ. तोमर का ये बयान भी अटपटा है, हालात चाहे जिस भी वजह से बिगड़े हों और झगड़ा किसी के भी कारण शुरु हुआ हो, फैसला करने का अधिकार अदालत का है और शुरुआती कार्रवाई करने का जिम्मा पुलिस का है। लेकिन इसमें तो पुलिस को तमाशबीन की तरह खड़ा किया गया था।

वैसे विकुल चपराणा पर भाजपा ने भी कार्रवाई की है। भारतीय जनता मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष तेजा गुर्जर की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि विकुल चपराणा की मानसिकता और कृत्य भाजपा की विचारधारा के विपरीत हैं। हालांकि भाजपा के लिए मुश्किल अभी कम नहीं हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी एक्स पर लिखा है कि भाजपाई सत्ता के अहंकार में चूर होकर किसी को भी अपमानित करने से नहीं चूकते हैं। भाजपाई न भूलें, एक न एक दिन हर दंभ का अंत होता है।

जमानत पर बाहर आए विकु ल चपराणा या उन जैसे सत्ता के दंभ में डूबे लोग आईंदा इस तरह आम लोगों के सम्मान पर प्रहार नहीं करेंगे, ऐसी आदर्श स्थिति तो तभी बनेगी जब सत्ता में ऊंचे पायदानों पर बैठे लोग अपने अधीनस्थों को कानून हाथ में लेने से रोकें और पुलिस को निजी सेवक बनाने की मानसिकता से बाज़ आएं। पुलिस प्रशासन को बाकायदा, बाइज्जत कानून का पालन करवाने दें, इसी से व्यवस्था कायम रहेगी, कानून का इकबाल कायम रहेगा।

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