मौलाना अरशद मदनी ने सरकार से पूछे तीखे सवाल, देश में मॉब लिंचिंग और धार्मिक नफरत की घटनाओं चुप क्यों?

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बांग्लादेश में हुई जघन्य घटना और भारत में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के जरिए बांग्लादेश की घटना की कड़ी निंदा की। साथ ही, देश के भीतर हो रही मॉब लिंचिंग और धार्मिक नफरत की घटनाओं पर भी चिंता जताई;

By :  IANS
Update: 2025-12-30 06:34 GMT

मौलाना अरशद मदनी का सवाल: बांग्लादेश की घटना पर हंगामा, भारत में नफरत और लिंचिंग पर चुप क्यों?

नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बांग्लादेश में हुई जघन्य घटना और भारत में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के जरिए बांग्लादेश की घटना की कड़ी निंदा की। साथ ही, देश के भीतर हो रही मॉब लिंचिंग और धार्मिक नफरत की घटनाओं पर भी चिंता जताई।

 बांग्लादेश में हत्या नहीं, बल्कि हैवानियत और दरिंदगी की इंतिहा है

मौलाना अरशद मदनी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, वह बहुत ही बुरा हुआ। यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि हैवानियत और दरिंदगी की इंतिहा है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। इस्लाम इसकी कतई, कतई अनुमति नहीं देता। जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन्होंने न केवल इस्लामी शिक्षाओं का उल्लंघन किया है, बल्कि इस्लाम को बदनाम करने का काम भी किया है। इसलिए ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।"

 हमारे देश को भी तबाह-बर्बाद कर रही है धार्मिक उग्रवाद और नफरत

मौलाना मदनी ने कहा कि धार्मिक उग्रवाद और नफरत हमारे देश को भी तबाह-बर्बाद कर रही है। क्रिसमस के मौके पर ईसाई समुदाय के साथ सांप्रदायिक तत्वों ने जो कुछ किया, उसे किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता। यह संविधान में नागरिकों को दी गई धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। जगह-जगह चर्चों पर हमले हुए और ईसाई समुदाय को अपना त्योहार मनाने से रोकने की कोशिश की गई।

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले बिहार के नालंदा में कपड़ों की फेरी लगाने वाले एक मुसलमान से कुछ लोगों ने नाम और धर्म पूछकर इतनी बेरहमी से मारपीट की कि उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। केरल में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां छत्तीसगढ़ के एक दलित युवक को बांग्लादेशी बताकर मौत के घाट उतार दिया गया। इसके कुछ ही दिनों बाद ओडिशा में पश्चिम बंगाल के तीन मुस्लिम मजदूरों की मॉब लिंचिंग हुई, जिसमें से एक की मौत हो गई और दो लोग अस्पताल में इलाजरत हैं।

 मॉब लिंचिंग की घटनाओं की न तो सरकार ने निंदा की और न ही मंत्रिमंडल के किसी सदस्य ने

मौलाना ने आगे कहा कि दुख की बात यह है कि इन घटनाओं की न तो सरकार ने निंदा की और न ही मंत्रिमंडल के किसी सदस्य ने इस पर कोई बयान दिया। और बांग्लादेश की घटना पर टीवी चैनलों में चर्चा और देश में हो रही मॉब लिंचिंग पर चुप्पी, जो बेहद अफसोसनाक है। इस दोहरे रवैये को क्या नाम दिया जाए? यकीनन यह वह भारत नहीं है, जिसका सपना महात्मा गांधी, शेखुल हिंद, मोतीलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद और हमारे बुज़ुर्गों ने देखा था।"

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