भेदभावपूर्ण है नागरिकता संशोधन कानून: कांग्रेस

कांग्रेस ने सीएए को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि सरकार को इसे तीन देशों के छह समुदायों तक सीमित रखने और मुसलमानों के साथ ही श्रीलंका के हिंदुओं तथा भूटान के ईसाइयों को इसमें शामिल;

Update: 2020-01-06 17:42 GMT

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि सरकार को इसे तीन देशों के छह समुदायों तक सीमित रखने और मुसलमानों के साथ ही श्रीलंका के हिंदुओं तथा भूटान के ईसाइयों को इसमें शामिल नहीं करने की वजह बतानी चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बंगलादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं, ईसाइयों, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है । सरकार के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि श्रीलंका के अल्पसंख्यक तमिल हिंदुओं और भूटान के अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोगों को क्यों छोड़ा गया है।

उन्होंने कहा कि शरणार्थियों की समस्या का जवाब नागरिकता संशोधन कानून लाना बिल्कुल नहीं है। इस संकट के समाधान के लिए मानवीय दृष्टिकोण से काम करना है और ऐसा कानून बनाना है जिसमें सबके लिए बराबर की जगह हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस कानून की विरोधी नहीं है बल्कि वह जानना चाहती है कि इस कानून को भेदभावपूर्ण क्यों बनाया गया है।

कांग्रेस नेता ने कहा “मैं स्पष्ट कर दूं कि हम नागरिकता संशोधन कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को शरण देने का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि हमारी चिंता उन लोगों को लेकर है जिन्हें इस कानून से बाहर रखा गया है। यह स्पष्ट है कि इस कानून का मकसद नागरिकता के सवाल को लेकर एक वर्ग को परेशान करना है। यह कानून शरणार्थियों की समस्या का समाधान नहीं करता है। उनकी समस्या के समधान के लिए मानवीय आधार पर भेदभाव रहित कानून बनाना है।”

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